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इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का 37वां स्थापना दिवस 20 जनवरी को

कृषि मंत्री चौबे ‘‘खाद्य एवं पोषक सुरक्षा हेतु लघु धान्य फसलें’’ राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ करेंगे

विश्वविद्यालय परिसर में ‘’नव निर्मित मिलेट कैफे’’ का लोकार्पण भी करेंगे

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर का 37वां स्थापना दिवस 20 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। इस अवसर पर ‘‘खाद्य एवं पोषण सुरक्षा हेतु लघु धान्य फसलें’’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा जिसके मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री रविन्द्र चौबे होंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रदीप शर्मा, मुख्यमंत्री के सलाहकार, कृषि, ग्रामीण विकास एवं योजना तथा डाॅ. कमलप्रीत सिंह, सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. गिरीश चंदेल करेंगे। इस कार्यशाला में लघु धान्य फसलों पर कार्य करने वाले कृषक, वैज्ञानिक, उद्यमी, प्रसंस्करणकर्ता आदि शामिल होंगे। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री चौबे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय राजमार्ग 53 पर नवनिर्मित मिलेट कैफे का शुभारंभ भी करेंगे। इस मिलेट कैफे में कोदो, कुटकी, रागी तथा अन्य लघु धान्य फसलों से निर्मित व्यंजन एवं अन्य उत्पाद आम जनता के लिए उपलब्ध रहेंगे।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ में लघु धान्य फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने, लोगो में लघु धान्य फसलों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने, लघु धान्य फसलों के पोषक मूल्य तथा औषधीय गुणों पर अनुसंधान, लघु धान्य फसलों के प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, उत्पाद निर्माण तथा इन फसलों के बीज उत्पादन एवं वितरण हेतु इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर तथा ईक्रिसेट हैदराबाद, भारतीय लघु धान्य फसल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद तथा राष्ट्रीय बीज निगम, हैदराबाद के मध्य तीन समझौते भी निष्पादित किये जाएंगें। कार्यशाला में राष्ट्रीय बीज निगम की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डाॅ. मनिन्दर कौर, छत्तीसगढ़ लघु वनोपज महासंघ के अतिरिक्त प्रबंध संचालक श्री आनंद बाबू, अन्तर्राष्ट्रीय अर्धशुष्क कटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (ईक्रिसेट) के उप महानिदेशक डाॅ. अरविंद कुमार, भारतीय लघु धान्य फसल अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डाॅ. हरिप्रसन्न एवं वैंकटेश्वरलू, सिम्बायसिस इंस्टिट्यूट पूणे की प्राध्यापक डाॅ. निशा भारती तथा भारतीय पैकेजिंग संस्थान मुम्बई के प्राध्यापक डाॅ. तनवीर आलम भी शामिल होंगे।
उल्लेखनीय है कि लघु धान्य फसलों की उपयोगिता, उपादेयता, पोषकता तथा औषधीय गुणों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय लघु धान्य वर्ष घोषित किया गया है। इसी परिपेक्ष में भारत सरकार द्वारा देश में लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने तथा आम जनता में इनके प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए राष्ट्रीय मिलेट मिशन संचालित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य मिलेट मिशन संचालित किया जा रहा है। इस मिशन के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के 20 जिले शामिल किये गए है जिनमें बस्तर एवं सरगुजा संभाग के जिलों को प्रमुखता के साथ शामिल किया गया है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 95 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में कोदो, कुटकी, रागी एवं अन्य लघु धान्य फसलों की खेती की जा रही है जिसे वर्ष 2026-27 तक 1 लाख 90 हजार हैक्टेयर तक विस्तारित करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में लघु धान्य फसलों की उत्पादकता 5.50 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है जिसे 2026-27 तक 11 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। भारत सरकार द्वारा लघु धान्य फसलों के अन्तर्गत रागी की खरीदी हेतु समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने एवं किसानों को इनकी खेती के लिए प्रेरित करने हेतु कोदो एवं कुटकी फसलों की खरीदी के लिए भी समर्थन मूल्य क्रमशः 3,000 रूपये प्रति क्विंटल तथा 3,100 रूपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ द्वारा किसानों से लघु धान्य फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है।
यह भी उल्लेखनीय है कि अधिक पोषक तत्वों तथा औषधीय गुणों वाली लघु धान्य फसलें कम लागत, कम सिंचाई की आवश्यकता, मौसम की प्रतिकूलता एवं विपरीत परिस्थितियों के प्रति सहनशीलता एवं कीटों तथा बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता के कारण आज-कल किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है। यह फसलें किसी भी प्रकार की मिट्टी में बहुत कम संसाधनों के साथ आसानी से उगाई जा सकती हैं। लो कैलोरी डाईट होने के कारण यह मधुमेह, रक्तचाप एवं हृदय रोगियों के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। इनमें कैल्शियम, मैग्नीशीयम, आयरन, फस्फोरस, अन्य खनिज तथा रेशा प्रचुर मात्रा में होने के कारण मानव स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद हैं। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा कोदो, कुटकी एवं रागी की तीन-तीन नवीन किस्में विकसित की गई हैं जिनमें – इंदिरा कोदो-1, छत्तीसगढ़ कोदो-2, तथा छत्तीसगढ़ कोदो-3, छत्तीसगढ़ कुटकी-1, छत्तीसगढ़ कुटकी-2 तथा छत्तीसगढ़ सोन कुटकी, इंदिरा रागी-1, छत्तीसगढ़ रागी-2 तथा छत्तीसगढ़ रागी-3 शामिल हैं। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित भिन्न अनुसंधान प्रक्षेत्रों तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के अन्तर्गत वृहद पैमाने पर लघु धान्य फसलों की खेती तथा बीज उत्पादन किया जा रहा है तथा कृषकों को इन फसलों की खेती हेतु मार्गदर्शन एवं प्रेरणा भी दी जा रही है। विभिन्न कृषक उत्पाद समूहों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को लघु धान्य फसलों के प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन तथा उत्पाद निर्माण एवं विपण हेतु मार्गदर्शन दिया जा रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र जगदलपुर द्वारा एक मिलेट कैफे संचालित किया जा रहा है जहां कोदो, कुटकी, रागी आदि लघु धान्य फसलों से निर्मित इडली, दोसा, उपमा, माल्ट, कुकीज़ तथा अन्य व्यंजन विक्रय किये जा रहे हैं।

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