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आखिर कौन समझेगा पहलवानों का दर्द

  • चन्द्रभूषण वर्मा
    भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर चल रहे पहलवानों के धरने को एक महीना से ज्यादा होने पर उन्हें बलपूर्वक हटा दिया गया है। पहलवान भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं जंतर मंतर से हटाए जाने और बृजभूषण के खिलाफ कार्रवाई नहीं होते देख पहलवानों ने अपना पदक गंगा में बहाने की कोशिश की। वे इसे बहाने हरिद्वार भी गए, लेकिन काफी मान मनौव्वल के बाद उन्होंने अपना इरादा बदल दिया और अब उन्होंने 5 दिन की मोहलत और दे दी है कि बृजभूषण के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
    अब यह देखना है कि आखिर पहलवानों के दर्द को समझने और उनकी मांगों को पूरा करने में सरकार कितनी गंभीर है। वैसे जिस अंदाज में भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों ने मोर्चा खोला है, उससे साफ जाहिर है कि वे बिना किसी परिणाम या निष्कर्ष के लौटने वाले नहीं? देखा जाए तो कोई खिलाड़ी या पहलवान इस तरह का आंदोलन तभी करता है, जब वह वास्तव में पीडि़त हो या फिर उन्हें अपने छलने होने का अहसास होता है। इसलिए सरकार को भी इन सब मामलों को गंभीरता से विचार कर उचित न्याय करना चाहिए।
    आपको बताते हैं कि पहलवानों के समर्थन में बीती 21 मई को हरियाणा के महम में एक खाप पंचायत आयोजित की गई थी, जिसमें फैसला लिया गया था कि बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहलवानों के धरने का एक महीना पूरा होने पर इंडिया गेट पर कैंडल मार्च भी निकाला जाए। इस पूरे विवाद के बीच बृजभूषण ने नार्को टेस्ट को लेकर भी बयान दिया है. अपने फेसबुक अकाउंट पर उन्होंने कहा, मैं अपना नार्को टेस्ट, पॉलिग्राफी टेस्ट या लाइ डिटेक्टर करवाने के लिये तैयार हूं, लेकिन मेरी शर्त है मेरे साथ विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का भी ये टेस्ट होने चाहिए. अगर दोनों पहलवान अपना टेस्ट करवाने के लिये तैयार हैं तो प्रेस बुलाकर घोषणा करें और मैं उनको वचन देता हूं कि मैं भी इसके लिये तैयार हूं. मैं आज भी अपनी बात पर कायम हूं और हमेशा कायम रहने का देशवासियों को वादा करता हूं दूसरी तरफ पहलवानों ने भी नार्को टेस्ट को लेकर हामी भरी है।
    उल्लेखनीय है कि महिला पहलवानों ने इस मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की थी। विडंबना यह है कि केंद्र सरकार के किसी भी मंत्री ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं जनवरी में पहली बार हुए धरने के बाद केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों से मुलाकात करके जांच के लिये पांच सदस्यीय निरीक्षण समिति बनाने की घोषणा की थी। मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त भी शामिल थे। बाद में पहलवान बबीता फोगाट को भी इस समिति में शामिल किया गया था। लेकिन सवाल उठे कि छह हफ्ते में रिपोर्ट देने की बाध्यता के बावजूद तीन महीने बाद भी जांच और उसके निष्कर्ष सामने क्यों नहीं आये, जिसके विरोध में फिर 23 अप्रैल से पहलवानों ने दूसरी बार धरना दिया। उसके बाद पुलिस में भी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ शिकायत की गई। बाद में शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप से पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की।
    अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर क्यों केंद्र सरकार छह बार के सांसद रहे दबंग भाजपा नेता के खिलाफ कार्रवाई से कतरा रही है? क्या पहलवानों के पास वे साक्ष्य हैं, जो साबित कर सकें कि बृजभूषण शरण सिंह दोषी है? लेकिन इतना जरूर है कि देश के लिये विश्व स्पर्धाओं में पदक जीतने वाली महिला पहलवानों के धरने पर बैठने की नौबत नहीं आनी चाहिए थी। निश्चित रूप से इस घटनाक्रम का देश में अच्छा संदेश नहीं गया। कमोबेश यही स्थिति विश्व में भारत की छवि को लेकर भी है। आखिर क्यों समय रहते खिलाडिय़ों की बात को संवेदनशील ढंग से सुनकर नीर-क्षीर विवेक से न्याय करने की कोशिश नहीं की गई?

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