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हरी-भरी वादियों के बीच प्राकृतिक खूबसूरती समेटे है कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

हरी-भरी वादियों के बीच प्राकृतिक खूबसूरती को समेटे बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की एक अलग ही पहचान है। 9 सितम्बर को वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर के दिशा-निर्देश तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव के मार्गदर्शन में कोटमसर ग्राम में प्रकृति संरक्षण संबंधी एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस तारतम्य में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) सुधीर अग्रवाल ने बताया कि हाल ही में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए मुख्यमंत्री श् भूपेश बघेल द्वारा इसके 15 गुफाओं पर आधारित कॉफी टेबल बुक का भी विमोचन हुआ है। कार्यशाला का आयोजन कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन, यूनिसेफ, एफईएस और छत्तीसगढ एग्रिकॉन समिति के सयुक्त तत्वाधान में ‘युवोदय वन मितानÓ (जन मन बन) किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव राकेश पाण्डेय, वनमंडलाधिकारी कांगेर घाटी धम्मशील गणवीर, यूनिसेफ चीफ छत्तीसगढ़ जॉब जकारिया, यूनिसेफ स्पेशलिस्ट अभिषेक सिंह, मंजीत कौर बल, वरिष्ठ पत्रकार सतीश जैन, यूनिसेफ सलाहकार चंदन कुमार, सचिव छत्तीसगढ़ एग्रीकॉन समिति मानस बनर्जी आदि उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम, प्राकृतिक संरक्षण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है और इसमें लोगों को प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जागरूक बनाने का प्रयास किया गया। कार्यक्रम के तहत स्थानीय युवाओं को वन्यजीवों के संरक्षण के महत्व के बारे में जानकारी प्रदान की गई और उन्हें वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। कार्यशाला में राष्ट्रीय उद्यान से आस-पास के लगभग 250 ग्रामीण युवा, स्थानीय इको विकास समिति के सदस्य और ग्रामीण जन उपस्थित रहे। राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक श्री धम्मशील गणवीर ने बताया कि इस आयोजन के माध्यम से बस्तर के युवा पीढ़ी को ‘युवोदय वन मितानÓ तैयार किए जा रहा है, जिससे वे ग्रामीणों को प्रकृति और संस्कृति संरक्षण के प्रति जागरूक कर सकेंगे।

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