कोरबा। नामांकन के अंतिम एक अभ्यर्थी उस समय कौतूहल का विषय बन गया जब नाम निर्देशन पत्र खरीदने के लिए सिक्कों की शक्ल में 10 हजार रुपये बोरियों में लेकर पहुंचा। एक, दो, पांच व दस रुपये के सिक्कों को निर्वाचन ने लेने से इंकार कर दिया। अंतत: अभ्यर्थी को बिना नामांकन भरे ही वापस लौटना पड़ा।
चुनावी सुर्खियों में आने के लिए अभ्यर्थियों को कई तरह के पैतरे अपनाते देखा जा सकता है। सोमवार को नामांकन के आखिरी दिन पर्चा दाखिल करने पहुंचे अभ्यर्थी गणेश दास महंत पर लोगों की नजर उस समय टिक गई जब यह पता चला कि वे नाम निर्देशन पत्र खरीदने के लिए दस हजार रुपये सिक्के के रूप में लाए हैं। सिक्का लाने के पीछे रहस्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होने बताया कि वह परिवहन संघ के अध्यक्ष हैं। वाहन चालकों की हित के लिए वे कोरबा विधानसभा से चुनाव लडऩा चाहते हैं। इसके लिए उन्होने चार साल पहले ही तैयारी शुरू कर दी थी।
नामांकन फार्म के लिए उन्होंने का सिक्के का संग्रहण किया। महंत ने बताया कि निर्वाचन अधिकारी के समक्ष जब सिक्के लेकर पहुंचे तो उन्होने केवल एक हजार रुपये सिक्के लेने की बात कही।
शेष राशि को रूपये के रूप में देने के लिए कहा। महंत ने बताया कि उनके पास रुपये नहीं है इस वजह से वह नामांकन दाखिल नहीं कर पाए। सिक्कों को बैंक में बदलवा कर भी ला सकते थे यह पूछे जाने पर मंहत ने कहा इसकी उन्हे जानकारी नहीं थी। प्रत्याशी को लौटाया जाना चर्चा का विषय रही।