उत्तरकाशी के टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अपने आखिरी चरण में है. हालांकि, शुक्रवार शाम को ड्रिलिंग के दौरान मशीन के खराब होने की वजह से ऑपरेशन को रोक दिया गया था. रेस्क्यू टीम अब मजदूरों को बाहर निकालने के लिए एक नई रणनीति पर भी विचार कर रही है.
टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे अधिकारियों ने इस ऑपरेशन को लेकर शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने से पहले केवल 10-12 मीटर की ड्रिलिंग बाकी थी, जिससे पुष्टि हुई कि रडार को आगे अगले 5 मीटर तक कोई भी बाधा नहीं दिखा है.
वे (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग एक्सपर्ट की टीम) इसे 100% सटीकता के साथ नहीं कह सकते हैं, लेकिन वे जो उम्मीद कर रहे हैं वह यह है कि अगले 5.4 मीटर में गर्डर, पाइप और धातु प्लेट जैसी कोई निरंतर धातु वस्तु नहीं है. उन्होंने कुछ अन्य बाधाओं की ओर इशारा किया है.
रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे एक अधिकारी ने बताया कि सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसमें फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए हाथ से ड्रिलिंग पर विचार किया जा रहा है.
ड्रिलिंग के दौरान जैसे ही मशीन आगे बढ़ती है, स्टील पाइप के छह-मीटर खंडों को एक साथ वेल्ड किया जाता है और संकीर्ण सुरंग मार्ग में धकेल दिया जाता है. एक बार स्टील शूट लग जाने के बाद, बचावकर्ता नव निर्मित सुरंग के माध्यम से श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए पहिएदार स्ट्रेचर का उपयोग करेंगे.