मॉडल और एक्ट्रेस पूनम पांडे का सर्वाइकल कैंसर से निधन हो गया है. अपनी बेबाक अंदाज के लिए जानी जाने वाली पूनम पांडे सर्वाइकल कैंसर से जंग हार गई. उनकी टीम ने शुक्रवार सुबह इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट के जरिए उनके फैंस को इस बात की सूचना दी. हमेशा फिट और खूबसूरत दिखने वाली पूनम पांडे अचानक से इस दुनिया को अलविदा कह देंगी यह बात काफी ज्यादा हैरान कर रही है. पूनम की टीम ने फैंस को जानकारी शेयर करते हुए बताया कि उनकी मौत सर्वाइकल कैंसर के कारण हुई है.
इस आर्टिकल के जरिए जानेंगे कि सर्वाइकल कैंसर क्या है? भारतीय महिलाओं के बीच यह कैंसर क्यों तेजी से फैल रहा है. साथ ही जानेंगे सर्वाइकल कैंसर के किस स्टेज में मरीज को बचाना मुश्किल होता है.
समय पर पता चलने से इलाज संभव
अगर फर्स्ट स्टेज में इस कैंसर का पता चल जाए तो 90 प्रतिशत तक मरीज को बचाया जा सकता है. वहीं अगर स्टेज 2 में इस बीमारी का पता चले तो 80 प्रतिशत चांस रहते हैं कि इस बीमारी से बचाया जा सकता है. डॉक्टर समय-समय पर स्क्रीनिंग की सलाह देते हैं.कैंसर का एक बार पता चलने पर इसके इलाज के दौरान क्रायोथेरेपी, लूप इलेक्ट्रोसर्जिकल एक्सिशन प्रक्रिया (एलईईपी) या कोल्ड कोगुलेशन सहित अन्य तरीकों से किया जा सकता है. अगर बीमारी आखिरी स्टेज में पहुंच गई है तो मरीज को बचाना बेहद मुश्किल है. क्योंकि यह कैंसर जैसे-जैसे बढ़ता है यह शरीर के दूसरे अंगों को भी अपने गिरफ्त में लेता जाता है.
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण क्या है?
सर्वाइकल कैंसर को लेकर अक्सर एक बात कही जाती है कि यह एक साइलेंट किलर है. इसके लक्षण शरीर पर तब तक दिखाई नहीं देते हैं जब तक यह अपने आखिरी स्टेज पर न पहुंच जाए. जब तक मरीज को इस बीमारी का पता चलता है उसे बचाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए डॉक्टर हमेशा महिलाओं को इसकी स्क्रीनिंग करवाने के लिए कहते हैं. डॉक्टर के मुताबिक अगर टाइम टू टाइम चेक करवाया जाए तो इस बीमारी से जान बचाई जा सकती है.
टॉयलेट के दौरान दर्द
पीरियड्स के दौरान हेवी फ्लो
पैरों में सूजन
टॉयलेट के दौरान ब्लड आना
भारत में सर्वाइकल कैंसर के लगभग 1,22,000 नए मामले सामने आते हैं, जिसमें लगभग 67,500 महिलाएं होती हैं. कैंसर से संबंधित कुल मौतों का 11.1 प्रतिशत कारण सर्वाइकल कैंसर ही है. यह स्थिति और भी खराब इसलिए हो जाती है कि देश में मात्र 3.1 प्रतिशत महिलाओं की इस हालत के लिए जांच हो पाती है, जिससे बाकी महिलाएं खतरे के साये में ही जीती हैं.
क्या है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स की लाइनिंग, यानी यूटरस के निचले हिस्से को प्रभावित करता है. सर्विक्स की लाइनिंग में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं- स्क्वैमस या फ्लैट कोशिकाएं और स्तंभ कोशिकाएं. गर्भाशय ग्रीवा के क्षेत्र में जहां एक सेल दूसरे प्रकार की सेल में परिवर्तित होती है, उसे स्क्वेमो-कॉलमर जंक्शन कहा जाता है. यह ऐसा क्षेत्र है, जहां कैंसर के विकास की सबसे अधिक संभावना रहती है. गर्भाशय-ग्रीवा का कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ पूर्ण विकसित हो जाता है.
आंकड़े बताते हैं कि 15 से 44 वर्ष की आयु में भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का दूसरा सबसे आम कारण गर्भाशय-ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर के रूप में उभरा है. अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए, तो इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते हुए मामले देखते हुए अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि 9-14 साल की लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर के फ्री वैक्सीन दी जाएगी. ताकि उन्हें इस बीमारी से बचाया जा सके. जल्द ही भारत में सर्वाइकल कैंसर के वैक्सीन मिलने शुरू हो जाएंगे.
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सर्वाइकल कैंसर से हुई पूनम पांडे की मौत… जानिए किस स्टेज में मरीज को बचाना होता है मुश्किल…
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