सरकार से नियमितीकरण की उम्मीद, लेकिन वो सरकार संविदा कर्मचारियों के अवकश में कटौती करने से नाराज संविदा कर्मचारी
प्रदेश में पिछली कांग्रेस सरकार के समय से ही अपने नियमिति करण की माँगों को लेकर संघर्ष रत रहे संविदा कर्मचारियों को भारतीय जनता पार्टी की सरकार से काफी उम्मीदें हैं। भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में मोदी की गारण्टी के नाम से 100 दिन में कमेटी का गठन कर समस्याओं के समाधान की बात की गई है परंतु कमेटी तो नहीं बनी पर पिछली सरकार में घोषित 30 दिनों के आकस्मिक अवकाश को घटा कर 18 दिन वार्षिक कर दिया गया है । इससे कर्मचारियों में सरकार को नीयत को लेकर शक पैदा होने लगा है । इस सम्बंध में छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने कहा कि सरकार का यह निर्णय निराशा पैदा करने वाला है ,सरकार बने 100 दिन होने वाले हैं कमेटी तो नहीं बनी अलबत्ता अवकाश कम कर दिये गए । संविदा कर्मी अल्प वेतन में विपरीत परिस्थितियों में कार्य करते हैं उन्हें दुर्घटना बीमारी में न मेडिकल अवकाश मिलता है और न अर्जित अवकाश विशेष कर महिला कर्मचारियों को और असुविधा होती है। ऐसे में सरकार के इस तुग़लकी फरमान से संविदा कर्मी आक्रोशित हैं। गौरतलब है कि,पिछली सरकार में 31 दिन तक चले संविदा कर्मचारियों के आंदोलन में डॉ रमन सिंग,अरुण साव,विजय शर्मा,ओपी चौधरी ,केदार कश्यप जैसे नेता हड़ताली मंच पर जा कर आंदोलन का समर्थन करते रहे और जब सरकार में आये तो सुविधाओं में इज़ाफ़ा के स्थान पर जो कुछ है उसे भी कम कर दिया गया। संविदा कर्मियों को डबल इंजन की इस सरकार की कथनी और करनी में अंतर दिखाई पड़ रहा है ।