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क्या आपने भी ली है कोविशील्ड की डोज? डरें नहीं, आप सेफ हैं…

कोरोना काल के दो-तीन वर्षों के बाद इन दिनों कोविशील्ड चर्चा में है. मामला इसे बनाने वाली कंपनी की कोर्ट में स्वीकारोक्ति से जुड़ा है. इस बयान के बाद कोविशील्ड के दुष्प्रभावों को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा का बाजार गर्म है. खासतौर पर भारत में भी लोग डरे हुए हैं. वे अपने वैक्सीन कार्ड को चेक कर रहे हैं कि उन्होंने भी कहीं कोविशील्ड की डोज तो नहीं ली है! कोरोनाकाल में यह वैक्सीन भी बड़ी संख्या में लोगों को दी गई थी. इस वजह से लोगों में डर का माहौल है. आखिर पूरा मामला क्या है? वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की कोर्ट में ऐसा क्या कह दिया, जिससे यह पूरा बवाल उठ खड़ा हुआ है? क्या वास्तव में कोविशील्ड का साइड इफेक्ट लोगों की जान ले रहा है? इन सभी मुद्दों पर हम विस्तार से आपको बताएंगे.

पहले यह जानते हैं कि कोविशील्ड को लेकर विवाद की शुरुआत कहां से हुई. ब्रिटेन की कोर्ट में वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पिछले दिनों यह स्वीकार किया कि उनके द्वारा बनाई गई वैक्सीन दुर्लभ परिस्थितियों में थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम अर्थात टीटीएस की समस्या की वजह बन सकती है. इस तरह की समस्या में खून का थक्का बन जाता है, जिससे लोगों में हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ सकता है. एम्स पटना के फिजिशियन डॉ दीपक सेन का यह मानना है कि कोरोना वैक्सीन के कारण होने वाले इस तरह के साइड इफेक्ट्स रेयर हैं. 10 लाख में से एक या दो लोगों में ही इस तरह का खतरा सामने आ सकता है.

एस्ट्राजेनेका के खिलाफ 100 मिलियन पाउंड का क्लास एक्शन मुकदमा था. ब्रिटेन के जेमी स्कॉट ने मुकदमा दर्ज कराया था. जेमी का आरोप था कि 2021 में वैक्सीन लेने के बाद उनकी स्थिति काफी खराब होने लगी थी और शरीर में खून के थक्के जमने लगे थे. इसका असर ब्रेन पर भी हुआ था. कई डॉक्टरों ने जवाब दे दिया. जेमी की पत्नी केट का कहना था कि पति की ऐसी स्थिति की वजह से पूरे परिवार को काफी कष्ट झेलना पड़ा. स्कॉट को परमानेंट ब्रेन इंजुरी हो चुकी है और वे जॉब भी नहीं कर पा रहे. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट को मानें तो ब्रिटिश अदालतों में प्रभावित परिवारों के 51 मुकदमे चल रहे हैं. कई ने कंपनी से हर्जाने की मांग की है.

एस्ट्राजेनेका के द्वारा ब्रिटेन कोर्ट में वैक्सीन के दुष्प्रभावों की स्वीकारोक्ति के बाद से ही लोगों के बीच इस वैक्सीन को लेकर डर का माहौल है. इस मुद्दे पर हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स काफी दुर्लभ हैं. साइड इफेक्ट्स होने होते तो वैक्सीन लेने के दो-चार हफ्तों में ही सामने आ जाते है. इतने दिनों बाद साइड इफेक्ट्स की सोच कर बेवजह डरने की आवश्यकता नहीं है.कोरोनाकाल में एस्ट्रोजेनेका ने 2021 में वैक्सीन तैयार की थी. भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राजेनेका को कोविशील्ड के नाम से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाया था. एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड के नाम से बनाया था. भारत में बड़े पैमाने पर इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया. करोड़ों लोगों को इस वैक्सीन की डोज दी गई है.

हालांकि इस वैक्सीन पर एक्सपर्ट समय-समय पर कई तरह के सवाल खड़े करते रहे हैं. कई देशों ने तो 2021 में ही इस वैक्सीन पर प्रतिबंध लगा दिया था. प्रतिबंध लगाने वालों में सबसे पहले डेनमार्क का नाम सामने आया. इसके बाद आयरलैंड, थाइलैंड, नीदरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, कांगो और बल्गेरिया ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को अपने देश के लोगों के लिए सही नहीं माना और इस पर प्रतिबंध लगा दिया. उसी समय वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का मंतव्य सामने आया कि एस्ट्राजेनेका कोविड-19 की वैक्सीन पूरी तरह सेफ है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक इस वैक्सीन के फायदे ज्यादा हैं.

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