Sunday, December 7

माँ बनने का सुखद अनुभव हर स्त्री के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है लेकिन आजकल की बदलती जीवनशैली के कारण बहुत सारी महिलाएं या तो इस सुख से वंचित रह जाती हैं या इस प्रक्रिया को पूर्ण करने में बहुत जटिल राहों से गुजरने की वजह से हिम्मत हार जाती हैं। चाहे आप भारतीय समाज की बात करें या पश्चात्य बच्चों के मामले में लोगों की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। प्रत्येक कपल इस प्रयास में लगा रहता है कि उन्हें बायोलॉजिकली अपनी ही संतान मिले, इसलिए आर्टिफीसियल तरीकों को अपनाने से पहले, या गोद लेने से पहले वो जहाँ तक हो सके यही प्रयास करते हैं की उनकी खुद की संतान हो जाए। कुछ लोगों को शीघ्र ही सफलता भी मिल जाती है परन्तु कुछ लोगों को अस्पताल के चक्कर लगाने और समाज के ताने भी सुनने पड़ते हैं जिससे उनका तनाव दिन -प्रतिदिन बढ़ता जाता है।

आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से बातचीत में उन्होंने इस विषय में बताया कि अक्सर लोगों को आयुर्वेदा की शक्ति और नियमित योगाभ्यास से सफलता मिल जाती है। उनके पास बहुत से ऐसे पेशेंट भी आते हैं जिन्होंने पहले IVF या IUI करवाया और वह फेल हो गया लेकिन आयुर्वेदिक उपचार से उन्हें नैचुरली कन्सीव करने में सफलता मिली है। इसी कड़ी में उन्होंने यह भी बताया कि योगासन से सीधा आपकी फर्टिलिटी पर असर नहीं होता है बल्कि यह उपचार की सभी प्रक्रिया के साथ पूरक का काम करता है। नियमित योग करने वाले लोगों के कन्सीव करने की सम्भावना उन लोगों की तुलना में अधिक होती है जो शारीरिक रूप से बहुत एक्टिव नहीं है।

नियमित योगासन से फर्टिलिटी पर पड़ने वाले प्रभाव

नियमित योग करने से आपके हॉर्मोन्स का संतुलन बना रहता है और आप उन बिमारियों से सुरक्षित रहते हैं जो हार्मोनल असंतुलन की वजह से उत्पन्न होता है।
योगाभ्यास से आपका मस्तिष्क शांत होता है और शरीर तथा मन के बीच संतुलन बना रहता है।
इनफर्टिलिटी की एक बड़ी वजह तनाव भी है लेकिन योग करने से आपका तनाव कम होता है।
शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाने के लिए तथा पेल्विक मसल्स को मजबूती प्रदान करने के लिए भी आप योगाभ्यास कर सकते हैं।

यहाँ ऐसे प्रसिद्ध योगासनों के बारे में जानेंगे जिससे इनफर्टिलिटी से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी

बद्धकोणासन: इसे तितली पोज या butterfly pose भी कहते हैं। इस योगासन के नियमित अभ्यास से आपके जाँघों, पेल्विक मसल्स में खिंचाव आता है जिससे रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। यह योगाभ्यास खासतौर पर महिलाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है।

पश्चिमोत्तानासन: इस योग से आपके पेट की चर्बी भी कम होती है इसलिए इसके नियमित अभ्यास से आप अपना वजन नियंत्रित रख सकते हैं जिससे आप मोटापे के कारण होने वाले इनफर्टिलिटी के जोखिम को कम कर सकते हैं। इस योगासन से आपकी फर्टिलिटी बेहतर होती है।

बालासन (child pose): इस योगासन को आप कन्सीव करने से पहले और प्रेगनेंसी के दौरान भी कर सकते हैं। इससे आपके कूल्हों, पीठ और जांघों की मांसपेशियों में खिंचाव आता है और शरीर में ब्लड का फ्लो भी बढ़ता है।

सूर्यनमस्कार: जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अत्यधिक क्रैम्प्स होते हैं उनके लिए यह योगासन एक वरदान के जैसा है क्यूंकि इससे ऐंठन कम होती है। इसके नियमित अभ्यास से प्रसव पीड़ा से भी राहत मिलती है और मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में भी मददगार साबित होता है।

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