राजनांदगांव। महिलाओं और बच्चों की सेहत को सुदृढ़ बनाने एवं उनके पोषण के स्तर में सुधार लाने के उद्देश्य से जिला प्रशासन की पहल पर अब आंगनबाड़ी केंद्र एक बार फिर खुलने लगे हैं, जिसके फलस्वरूप आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की किलकारियां गूंजने भी लगी हैं। कोविड-19 के संक्रमण के खतरे के कारण लगभग छह माह तक वीरान रहे आंगनबाड़ी केंद्रों में रौनक अब फिर लौटने लगी है। गुजरे 15 सितंबर से जिले के 30 आंगनबाड़ी केंद्र फिर से खुल गए हैं और यहां बच्चों को गरमा-गरम भोजन परोसा जा रहा है। इनमें राजनांदगांव ग्रामीण, छुरिया, डोंगरगढ़, मानपुर व मोहला क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र शामिल हैं। इससे पहले बंद के दौरान जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने तत्परता एवं सक्रियता से सेवाएं देते हुए शहरी एवं ग्रामीण अंचलों तक टेक होम राशन का वितरण किया था, लेकिन अब राज्य शासन के निर्देशानुसार बच्चों एवं गर्भवती माताओं के पोषण को ध्यान में रखते हुए 15 सितंबर से आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन फिर से किया जा रहा है। कोरोना के प्रति पर्याप्त सावधानी एवं सुरक्षा रखते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों में तीन से छह वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती माताओं को गरम भोजन परोसा जा रहा है। हालांकि, कंटेनमेंट जोन के अंतर्गत आने वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों को फिलहाल नहीं खोला गया है। कोरोना संक्रमणकाल में एहतियाती सतर्कता के तौर पर शुरू किए जाने से पहले आंगनबाड़ी केंद्रों को सेनेटाइज किया गया है। इसके अलावा लाभार्थियों को हाथ धुलवाने के बाद ही केंद्र में प्रवेश दिया जा रहा है। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए बच्चों एवं गर्भवती माताओं को भोजन दिया जा रहा है। एक साथ अधिक लोग केंद्र में प्रवेश न करें, इसके लिए लाभार्थियों को अलग-अलग समय पर बुलाया जा रहा है। खाना बनाते समय भी बर्तन को स्वच्छता से धोना एवं अन्य सुरक्षात्मक उपायों को अपनाया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश व सेक्टर पर्यवेक्षक द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों की लगातार मॉनिटरिंग भी की जा रही है।
अभिभावकों की सहमति से शुरू किए केंद्र
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों को शुरू करने से पहले बच्चों के अभिभावकों से चर्चा कर अनिवार्य रूप से उनकी सहमति ली जा रही है। वर्तमान में राजनांदगांव ग्रामीण के 10, छुरिया के 10, डोंगरगढ़ के 5, मानपुर के 2 और मोहला ब्लॉक के 3 आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन 15 सितंबर से पुन: किया जा रहा है। यहां अब बच्चों की उपस्थिति भी होने लगी है। बीमार होने की स्थिति में बच्चे को घर पर रहने एवं स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा जा रहा है। इसके अलावा सभी को कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करने के लिए निरंतर जागरूक किया जा रहा है।
इसे कहते हैं आंगनबाड़ी केंद्र
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से छह वर्ष के बच्चों और उनकी मां को कुपोषण से बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनवाड़ी योजना शुरू की गई है। आंगनबाड़ी को आंगन आश्रय भी कहा जाता है। इस योजना के अंतर्गत गावों और कस्बों में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में एक आंगनबाड़ी केंद्र खोला जाता है। इस केंद्र को 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों का पूर्व प्राथमिक विद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। इस केंद्र में सरकार द्वारा प्रदान की गई अत्याधुनिक सुविधाएं होती हैं, जो बच्चों और उनकी मां को कुपोषण से बचाते हैं। आंगनबाड़ी केंद्र वह स्थल होता है, जहां पर बच्चों और महिलाओं को घर जैसा वातावरण उपलब्ध कराया जाता है, जिससे उनको किसी भी प्रकार का संकोच न रहे।
आंगनबाड़ी केंद्र की सेवा और सुविधाएं
आंगनबाड़ी केंद्र की प्रमुख सुविधाओं में 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों को पोषित भोजन, स्वास्थ्य सेवाएं, खेल सामग्री, बच्चों की पुस्तकें, गर्भधात्री महिलाओं की सही समय पर जांच और परामर्श, बच्चों को बुनियादी ज्ञान से शिक्षित करना इत्यादि हैं।
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