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धारदार चट्टान, ले सकती हैं जान.. इसलिए रहें सावधान, असावधानी से हो सकता है हादसा

उगते सूरज के समय बिखरती सूरज की किरणे हो या फिर अस्त होने के समय सुनहरी रोशनी और बादलों के बीच झिलमिलाती किरणे।  बहते पानी में आधा बाहर तो आधा भीतर की ओर डूबा चट्टान जब बाहर से चमकता हुआ दिखाई देता है तो यह देखने वालों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। पानी की धार से तराशे गए इन चट्टानों में सूरज निकलने से लेकर सूरज के डूबने तक चमक ही नहीं होती, नुकीले और धारदार चट्टान कई स्थानों पर किसी को काटने, खरोंच पहुंचाने से लेकर उन्हें अपनी गुफानुमा जगहों में कैद करने की क्षमता भी रखती है। बेशक यह कोरबा जिले का प्रसिद्ध  पिकनिक स्पॉट देवपहरी, परसखोला, फुटहामुड़ा ही है, जो अपनी खूबसूरती तथा आसपास के मनोरम दृश्य के लिए सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। पर्यटन और सैर सपाटे के इस मौसम में हल्की ठण्ड, चटक धूप के साथ मनोरम दृश्य हमें मजबूर करते हैं कि हम भी मस्ती और मनोरंजन के लिए परिवार तथा दोस्तों के साथ इन जगहों में जाएं। चूल्हा बनाकर आग जलाये, पसंद का खाना बनाये और आसपास के खूबसूरत सा नजारों को देखकर कुछ गाते,गुनगुनाते, नाचते हुए हमेशा के लिए अपनी यादगार तस्वीर कैमरों में कैद करें। मस्ती और मनोरंजन की यह ख्वाहिश यादगार लम्हों में तब तक कैद होती है, जब तक हम ऐसे स्थानों पर सुरक्षित जाये और सुरक्षित लौट आए, वर्ना जरा सी असावधानी और लापरवाही हमें कभी न भूल पाने वाली वह गम दे जाती है, जो किसी के मस्ती और मनोरंजन के समय बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। कुछ ऐसा ही हादसा जिले के इस देवपहरी जलप्रपात, परसखोला और बालको के फुटहामुड़ा पिकनिक स्पॉट पर बीते माह सिलसिलेवार घटित हुआ। आपस में तय कर नाबालिग छात्र यहां चले तो आए, किसी अनहोनी या हादसों की परवाह किए बगैर पानी में उतरकर नहाने लगे। दूर-दूर तक फैले हुए खतरनाक चट्टानों में पानी कितना है और खतरा कितना है ? इसकी परवाह किए बिना पानी में उतरना उनके लिए मस्ती या मनोरंजन नहीं बल्कि मौत साबित हुआ। जिले में ऐसी कुछ घटनाएं भी है, जिसमे आपस में मस्ती करते हुए और एक दूसरे को पानी में उतरने-कूदने के चैलेज करते हुए छात्र सूझबूझ से काम नहीं लेते और जोखिमों के बीच पानी में उतर जाते हैं। इन स्थानों में छात्र पानी में बह चुके हैं। चीखते चिल्लाते और देखते ही देखते पानी में समाहित होकर लापता हुए छात्रों को उनके दोस्त भी बचा नहीं पाए, क्योंकि ऐसे हादसों के वक्त डरना, सहमना लाजिमी है और सूझबूझ के साथ कोई उपाय भी दिमाग में नहीं आ पाता। जिला प्रशासन द्वारा महत्वपूर्ण पिकनिक स्थलों पर सावधानी बरतने संबंधी बोर्ड भी लगाये जाते हैं लेकिन मस्ती में चूर अनेक लोग ऐसे सूचनाओं का अनदेखी कर खतरनाक स्थानों पर चले जाते हैं। हादसे की सूचना पर अलर्ट  प्रशासन और पुलिस, नगर सेना, एसडीआरएफ तथा ग्रामीणों ने रेस्क्यू कर पूरी कोशिश करते हैं लेकिन मस्ती और लापरवाही की वजह से तत्काल किसी को मौत के मुंह से खीच लाना सम्भव नहीं हो पाता, क्योंकि देरी से सूचना मिलने, अंधेरा हो जाने,पानी का स्तर बढ़ जाने और अटपटे चट्टानों से रेस्क्यू में रोड़ा इन स्थानों पर हुए हादसों का परिणाम आखिरकार जिंदगी के उम्मीदों के बीच नदी के पानी और चमकते चट्टानों के खोह से सिर्फ लाशे ही निकली है। ऐसे हादसों में किसी परिवार का एकलौता चिराग बुझ गया तो किसी परिवार में सबसे बड़ी उम्मीदें भी बिखर गई। खैर अब जो होना था सो हो गया। इसे लापरवाही कहें, हादसा या चूक कहें, लेकिन आगे किसी के साथ ऐसे हादसे न हों, इस दिशा में सतर्क होना भी जरूरी है। जिले में कई ऐसे पिकनिक स्पॉट है और इन पिकनिक स्पॉट के खूबसूरत नजारे आपको आकर्षित जरूर करेंगे। देवपहरी का पिकनिक स्पॉट जलप्रपात की वजह से सभी को आने के लिए मजबूर करती है। बड़े-बड़े चट्टानों से होकर पानी बहती तो है लेकिन यह खतरनाक भी है और यहाँ तेज गति से बहती पानी की धारा को छूना,बिना सतर्कता के साथ चट्टानों में चलना आपके लिए जोखिम भरा हो सकता है,क्योंकि यहाँ मौजूद भारी भरकम चट्टानों में सिर्फ चमक ही नहीं है, तेज फिसलन भी है, जिसमे असावधानीवश चलकर और गिरकर आप अपनी हड्डियां भी तुड़वा सकते हैं। बालको क्षेत्र के परसखोला, फुटहामुड़ा के जलप्रपात और पिकनिक स्पॉट में उतरकर चट्टानों में जाने और फंसकर फिसल जाने का खतरा है। जगह-जगह मौजूद चट्टानें आपको कभी भी हादसों का शिकार बना सकते हैं, इसलिए कोशिश करिये कि आपके बच्चे ऐसी जगहों में न जाए, उसके लिए सचेत रहे। ऐसी जगहों में कुछ सुरक्षा के इंतजाम व सावधानी और सतर्कता आपके खतरे को टालने में बहुत हद तक मददगार बन सकते हैं। 

पंछियों की कलरव सुने, कलकल बहती पानी की आवाजें सुने… 

आप जहां भी पिकनिक स्पॉट देखने जाए तो आसपास के मनोरम दृश्य को देखे। शांत वातावरण में कलकल, झर-झर बहती पानी की आवाज तो उनकी तरंगों को सुने, बादलों के साथ नीले आसमानों की पानी में बनती तस्वीरों को देखे, चमकते चट्टानों को हीरे के चमक के रूप में दूर से देखे। पक्षियों की चहचहाहट, कलरव को सुने। दूर तक फैले रेत में नंगे पांव चले। गुनगुनी धूप का आंनद लें और कभी धूप लगने पर पेड़ों की छांव में बैठकर देखे। कुछ देर खुद को यहां चलती हवाओं के साथ महसूस करके देखेंगे तो निःसंदेह प्रकृति का अनुपम दृश्य आपकों भावविभोर कर देंगे। प्रकृति ने नदी व पहाड़, झरने, जंगल का मनोरम दृश्य आपके हृदय में खूबसूरती और सुकून का भाव उत्पन्न करने के लिए दिए हैं, न कि ऐसे जगहों में जाकर जोखिम लेने और जिंदगी गंवा देने के लिए दिए हैं। 

घर का सूरज जैसे काले बादलों में खो गया…

कुछ युवा मित्रों के साथ बालको के गहनिया पिकनिक स्पॉट में गए सूरज दास ने देखा देखी में पानी में छलांग लगा दी। पानी में नुकीले चट्टान से उसके सिर पर गहरा चोट लगा। अचानक बेसुध हुए सूरज को किसी तरह अस्पताल लाया गया। गरीब परिवार अपने बेटे के इलाज के लिए अस्पताल तक दौड़ लगाते रहे। मस्तिष्क में चोट लगने से याददाश्त और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव की वजह से वह कई साल तक व्हीलचेयर में ही रहा। लगभग 6 फीट का हष्टपुष्ट युवा सूरज ने जरा सी गलती कर न सिर्फ खुद की अच्छी खासी जिंदगी बर्बाद कर ली अपितु अपने गरीब माता-पिता के लिए भी अनेक मुश्किलें खड़ी कर दी..। जुलाई 2023 में एक शिक्षक देवपहरी में डूब गया। अप्रैल और अक्टूबर 24 में परसखोला में नाबालिग छात्र पानी में छलांग लगाकर वापस जिंदा नहीं लौटे। निर्मला स्कूल का नाबालिग छात्र फुटहामुड़ा में पानी और सुरंगनुमा पत्थरो के बीच समा गया। इन घटनाओं से यह भी सीख मिलती है कि शिक्षक हो या छात्र,सभी के लिए जरा सी चूक या लापरवाही उनकी जान ले सकती है।

अनावश्यक पानी में न उतरे, दृश्य निहारे और लौट आएं :

देवपहरी, परसखोला, फुटहामुड़ा, केंदई, सतरेंगा, नकिया जैसे स्थानों पर पानी का भराव, पत्थरो की खतरनाक श्रृंखला है,यहाँ मुझे तैरना आता है यह सोच कर पानी में बिल्कुल भी न उतरे। सैर सपाटे के लिए पहुँचने के पश्चात आसपास के मनोरम दृश्यों को निहारे,कैमरे में इन दृश्यों को कैद कर खुद की भी तस्वीर ले लेकिन पानी में उतर कर नहाने का साहस न करें। आप बहुत ही सावधानी से वाहन चलाते हुए ऐसे स्थानों पर जाए। शराब का सेवन न करे और पिकनिक मनाने आने पर यहाँ गंदगी न फैलाए। पिकनिक जाने के दौरान अपने साथ एहतियात के तौर पर रस्सी, टॉर्च  और अन्य सुरक्षा उपकरण भी अवश्य रखे। कोशिश करें कि आप दिन के उजाले में घर से बाहर निकले और अंधेरा होने से पहले ही लौट आएं।

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