विधानसभा में गुरुवार को नगर पालिका संशोधन विधेयक पारित हो गया। इसके साथ ही अब प्रदेश में नगरीय निकायों में चुनाव की राह खुल गई है। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का रास्ता साफ हो गया है। नगरीय निकाय में कार्यकाल पूरा होने पर 6 माह तक नियुक्त हो सकेंगे प्रशासक। महापौर और नगरपालिका एवं नगर पंचायत अध्यक्ष चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होंगे। निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण अधिकतम 50 प्रतिशत का नियम लागू।
विपक्ष की गैरमौजूदगी में ध्वनिमत से पारित हुआ संशोधन विधेयक। विपक्ष ने संशोधन विधेयक को संविधान के खिलाफ बताकर बहिर्गमन कर दिया और गांधी प्रतिमा के पास प्रदर्शन करते रहे। इसी बीच चर्चा के बाद विधेयक पारित हो गया। इससे पहले विधानसभा में नगर पालिका संशोधन विधेयक उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने पेश किया। इस पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने विधेयक को संविधान के विपरीत और संविधान की मूल भावना के विपरीत बताते हुए विरोध किया। विधेयक पेश करने को लेकर भी सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच बहस होती रही।
सरकार को विधेयक में संशोधन का पूरा अधिकार : अरुण साव
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा- विधेयक संविधान के अनुरूप है। राज्य सरकार को विधेयक में संशोधन का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि, विधानसभा में विधेयक पारित किया जा सकता है। विपक्ष ने उपमुख्यमंत्री अरुण साव से पूछा- आखिर आप समय पर चुनाव क्यों नहीं कराना चाहते। डिप्टी CM अरुण साव ने विपक्षी सदस्यों को जवाब देते हुए कहा कि, सरकार समय पर चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है, विधेयक सभी स्थितियों को ध्यान रखते हुए लाया जा रहा है।
उमेश पटेल और राघवेंद्र सिंह भी बोले
खरसिया से कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने विधेयक को संविधान के विपरीत बताते हुए विधि विशेषज्ञों से विधेयक पर राय लेने का सुझाव दिया। वहीं विधायक राघवेन्द्र सिंह ने कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि, विधेयक संविधान के विपरीत है, इसे सदन में लाने की अनुमति नहीं मिलना चाहिए।
महंत ने की बर्हिगमन की घोषणा
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा- हम संविधान के विपरीत विधेयक पारित होने नहीं देंगे। हम सदन में विधेयक पेश होते समय मौजूद नहीं रहेंगे। आसंदी ने विधेयक के पेश होने और पारित होने की अनुमति दी। लेकिन इसी बीच विपक्ष ने विधेयक के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया।