शासन द्वारा मान्यता प्राप्त राज्य कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रांताध्यक्ष महामंत्री रहे कर्मचारी नेता वीरेन्द्र नामदेव ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी स्थानांतरण नीति 2025 को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस बार 3 साल बाद जारी स्थानांतरण नीति में प्रदेश में मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों को हर बार दी जाने वाली छूट का प्रावधान को खत्म कर दिया है। जबकि इसके पहले तबादला नियम में प्रदेश में अध्यक्ष/ महामंत्री और जिला में अध्यक्ष/सचिव को स्थानांतरण में छूट देने का प्रावधान होता रहा है। मध्यप्रदेश में तो अध्यक्ष/ महामंत्री को प्रदेश, जिला और विकासखंड स्तर तक स्थानांतरण में छूट नियम एकीकृत मध्यप्रदेश के जमाने से लेकर आज तक बरकरार है। मगर छत्तीसगढ़ में इस प्रावधान को इस बार स्थानांतरण नीति 2025 में पूरी तरह से हटा दिया गया है। जारी विज्ञप्ति में छत्तीसगढ़ में अनेक संगठनों के पूर्व कर्मचारी नेता क्रमशः वीरेन्द्र नामदेव,जयप्रकाश मिश्रा, पूरनसिंह पटेल,आलोक पांडे, अनिल गोलहानी, प्रवीण कुमार त्रिवेदी ने बताया है कि वर्तमान में सैकड़ों की संख्या से भी बहुत अधिक रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसायटी में सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों की यूनियन पंजीकृत है। बताया जाता है कि इनमें लगभग 24-25 यूनियन को सरकार ने मान्यता दी है। हर साल मान्यता खत्म करके कुछ जरूरी कागजात लेकर मान्यता बहाल करती है। अभी पता नहीं कितने की मान्यता बहाल है क्योंकि पहले की तरह कोई एकजाई सूची जारी होना बंद हो गया है। मगर एक बार भी जिसे मान्यता प्राप्त हुई है वह अब अपने को मान्यता प्राप्त ही मानता है।इन्हीं कुछ गिने चुने संघों के प्रदेश में दो और जिले में दो पदाधिकारियों को तबादला में छूट मिलता रहा है। कई लोग तो इसी कारण से पद धारण किए हुए है। अब वह छूट भी वर्तमान तबादला नीति से हटा दिया गया है। इन कर्मचारी संघों के नेतागिरी से खार खाए परेशान अधिकारी वर्ग को अब ऐसे कर्मचारी नेता से मुक्त होने का अवसर मिल गया है। जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि सरकार लंबे समय देखते आ रही है प्रदेश में कर्मचारी संगठनों के कई गुट है, इसलिए ब्यूरोक्रेट के सलाह से सरकार बेपरवाह होकर अपने मनमर्जी से वो सबकुछ कर रही है जो कर्मचारी जगत को नागवार गुजर रहा है। मगर कर्मचारी संघों की आपसी फूट से सरकार निश्चिंत है। कोई 135 संघों का अपने को मजबूत “फेडरेशन” कहते नहीं थकता और तो कोई “मोर्चा” नाम से एक से अधिक संघों को जोड़कर ताल ठोककर समकक्ष को आंख दिखाने में कभी पीछे नहीं रहता। “मंत्रालय” के नेता अपने आप में मस्त पस्त है। इसके अलावा अभी युक्ती युक्तिकरण ने 23 पंजीकृत शिक्षक संगठनों एकजुट कर दिया है परंतु सरकार के दांव पेच के आगे सबकी धरी की धरी रह गई है। इतने सारे ताकतवर संगठन सरकार से “मोदी की गारंटी” लागू करा पाने में असमर्थ है और महंगाई भत्ता का एरियर लेने में भी समर्थ नहीं है और अब ट्रांसफर में छूट के प्रावधान को छीन लिया। जारी विज्ञप्ति में पूर्व कर्मचारी नेताओं ने कर्मचारी संगठनों के आकाओं को आगाह किया है कि अब भी समय है सारे मन भेद – मतभेद, गिले – शिकवे, आपसी मनमुटाव को भूलकर,केसरिया, लाल, पीला, नीला, रंग के झंडे को दरकिनार कर सरकार से अपनी जायज मांगो को मनवाने साथ बैठकर ठोस निर्णय लेने का हिम्मत करें।
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