Monday, December 8

एनईपी के पाँच वर्ष पूरे होने पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि भाषा के चयन से लेकर कौशल पर बल तक, इसकी अवधारणाओं ने कक्षा के अनुभव को मूल रूप से बदल दिया है

धर्मेन्द्र प्रधान

2020 में भारत ने केवल एक नई नीति नहीं अपनाई, बल्कि एक प्राचीन आदर्श को फिर से जीवंत किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) ने सीखने को राष्ट्र निर्माण का आधार बनाया और इसे हमारी सभ्यतागत परंपराओं से जोड़ा। स्वर्गीय डॉ. के. कस्तूरीरंगन जी के नेतृत्व में तैयार की गई यह नीति इतिहास की सबसे व्यापक जन-सहभागिता वाली नीति-निर्माण प्रक्रिया में से एक थी। यह एक ऐसा दूरदर्शी रूपरेखा थी जो सांस्कृतिक मूल्यों में निहित था। यह एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था की कल्पना थी जो रटने की प्रवृत्ति, कठोर ढाँचों और भाषाई ऊँच-नीच से परे हो—समावेशी, सर्वांगीण और भविष्य के लिए तैयार। पाँच वर्षों में NEP का असर केवल नीतियों तक नहीं, बल्कि कक्षाओं तक स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। अब प्राथमिक कक्षाओं में खेल आधारित शिक्षण, रटने की पद्धति की जगह ले चुका है; बच्चे अपनी मातृभाषा में सहजता से पढ़ रहे हैं; छठी कक्षा के विद्यार्थी व्यावसायिक प्रयोगशालाओं में हाथों-हाथ कौशल सीख रहे हैं। अनुसंधान संस्थानों में भारत का पारंपरिक ज्ञान आधुनिक विज्ञान के साथ संवाद कर रहा है। NEP की सोच STEM क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और वैश्विक मंचों पर भारतीय संस्थानों की उपस्थिति में भी झलकती है। निपुण भारत मिशन (NIPUN Bharat Mission) ने बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान को कक्षा 2 तक सुनिश्चित किया है। ASER 2024 और परख (PARAKH) राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 जैसी रिपोर्टों में यह प्रगति परिलक्षित होती है—आज की कक्षाएं जिज्ञासा और समझ का केंद्र बन चुकी हैं। विद्या प्रवेश और बालवाटिका जैसी पहलें अब प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा को व्यवस्थित रूप से एकीकृत कर रही हैं। 22 भारतीय भाषाओं में जादुई पिटारा और ई-जादुई पिटारा, नई पीढ़ी की पाठ्यपुस्तकों के साथ, शिक्षा को रुचिकर बना रहे हैं। NISHTHA प्रशिक्षण के माध्यम से 14 लाख से अधिक शिक्षक प्रशिक्षित हो चुके हैं और DIKSHA जैसे प्लेटफॉर्म शिक्षण सामग्री को देशभर में सुलभ बना रहे हैं। NEP ने यह स्पष्ट किया कि भाषा कोई बाधा नहीं, बल्कि सशक्तिकरण का माध्यम है। 117 भाषाओं में प्राइमर विकसित किए गए हैं और भारतीय सांकेतिक भाषा को एक विषय के रूप में शामिल किया गया है। भारतीय भाषा पुस्तक योजना और राष्ट्रीय डिजिटल भंडार (National Digital Depository) for Indian Knowledge Systems जैसी योजनाएं भाषाई और सांस्कृतिक ज्ञान को लोकतांत्रिक बना रही हैं। National Curriculum Framework (NCF) और कक्षा 1 से 8 की नई किताबें अब जारी हो चुकी हैं। प्रेरणा (PRERNA) एक सेतु कार्यक्रम है जो छात्रों को नई पाठ्यचर्या में सहजता से ढालने के लिए मार्गदर्शन करता है, ताकि वे अभिभूत न हों, बल्कि हर चरण में सहयोग प्राप्त करें। समग्र शिक्षा (Samagra Shiksha) और पीएम पोषण (PM Poshan) जैसी योजनाओं ने लगभग सार्वभौमिक नामांकन को संभव बनाया है। NEP का प्रभाव वंचित समूहों तक भी पहुँचा है। 5,138 से अधिक कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में 7.12 लाख से अधिक वंचित समुदायों की बालिकाएं नामांकित हैं। धर्ती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत 692 और PVTG छात्रों के लिए 490 से अधिक छात्रावास स्वीकृत किए गए हैं। प्रशस्त कार्यक्रम के माध्यम से दिव्यांगता की पहचान कर शिक्षा व्यवस्था को और अधिक समावेशी व सशक्त बनाया गया है। NEP 2020 के परिवर्तन का एक प्रमुख स्तंभ हैं 14,500 पीएम-श्री स्कूल (PM SHRI Schools), जो आधुनिक, समावेशी और पर्यावरण के अनुकूल हैं। ये विद्यालय NEP के विजन के अनुरूप आदर्श मॉडल स्कूल बन रहे हैं, जो बुनियादी ढाँचे और शिक्षण पद्धति दोनों को पुनर्परिभाषित कर रहे हैं। विद्यांजलि प्लेटफॉर्म ने 8.2 लाख स्कूलों को 5.3 लाख से अधिक volunteers और 2,000 CSR पार्टनर्स से जोड़ा है, जिससे 1.7 करोड़ छात्रों को सीधा लाभ मिला है। उच्च शिक्षा में कुल नामांकन 3.42 करोड़ से बढ़कर 4.46 करोड़ हो गया है—30.5% की बढ़ोत्तरी। इनमें लगभग 48% छात्राएं हैं। महिला PhD नामांकन 0.48 लाख से बढ़कर 1.12 लाख हो गया है। SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक छात्रों का बढ़ता नामांकन उच्च शिक्षा में समावेशिता का ऐतिहासिक संकेत है। महिला GER लगातार छह वर्षों से पुरुषों से अधिक रहा है। मल्टीपल एंट्री-एग्जिट, Academic Bank of Credits, और National Credit Framework जैसे नवाचारों ने शिक्षा को विकल्पों से भरपूर और छात्र-केंद्रित बनाया है। 21.12 करोड़ APAAR IDs उपलब्ध कराई गईहैं। 153 विश्वविद्यालयों में मल्टीपल एंट्री और 74 में एग्जिट विकल्प उपलब्ध हैं—अब सीखना क्रमबद्ध नहीं, बल्कि मॉड्यूलर है। NEP के अनुसंधान और नवाचार पर ज़ोर ने भारत के Global Innovation Index को 81वें स्थान से 39वें तक पहुंचाया है। 400 से अधिक उच्च शिक्षा संस्थानों में 18,000 से अधिक स्टार्टअप इनक्यूबेट किए गए हैं। अनुसंधान NRF, PMRF 2.0, और ₹6,000 करोड़ की वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना शोध को विकेंद्रीकृत और सुलभ बना रही हैं। Swayam और Swayam Plus जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर 5.3 करोड़ से अधिक नामांकन हो चुके हैं। DIKSHA और PM e-Vidya के 200+ DTH चैनलों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण सामग्री देश के हर कोने में उपलब्ध हो रही है। द्विवार्षिक प्रवेश, डुअल डिग्री जैसी व्यवस्थाएं उच्च शिक्षा को और अधिक समावेशी, बहुविषयक और उद्योगोन्मुखी बना रही हैं। QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारत के 54 संस्थान शामिल हुए हैं, जबकि 2014 में केवल 11 थे। Deakin, Wollongong, और Southampton जैसे वैश्विक विश्वविद्यालय भारत में कैंपस स्थापित कर रहे हैं। परिवर्तन की इस यात्रा का उत्सव अखिल भारतीय शिक्षा समागम के माध्यम से मनाया जा रहा है, लेकिन इसका मूल्यांकन शिक्षार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों के शांत आत्मविश्वास में हो रहा है। हमें अपने परिसरों को हराभरा बनाना, महत्वपूर्ण अनुसंधान अवसंरचना का विस्तार करना और सीखने के परिणामों को और अधिक गहरा करना जारी रखना होगा। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में शिक्षा केवल एक नीति नहीं, बल्कि सबसे बड़ा राष्ट्रीय निवेश बन चुकी है। जहाँ शिक्षा है, वहीं प्रगति है। एक अरब जागरूक और सशक्त नागरिक केवल जनसांख्यिकीय लाभांश नहीं हैं, बल्कि नए भारत का सुपरनोवा हैं।

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