सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र में फ्लू गैस वैल्यूएशन पायलट परियोजना—डिकार्बोनाइजेशन के लिए हुआ एमओयू
पर्यावरणीय स्थिरता और उद्योग में डिकार्बोनाइजेशन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए, भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (Steel Authority of India Limited – SAIL) के भिलाई इस्पात संयंत्र ने एंटिटी 1 वैल्यू इमिशन्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी का उद्देश्य फ्लू गैसों तथा ग्रीनहाउस गैसों को मूल्यवर्धित उत्पादों में रूपांतरित करने हेतु एक उन्नत पायलट परियोजना की स्थापना करना है। यह पहल न केवल उत्सर्जन में कमी लाएगी, बल्कि औद्योगिक अपशिष्ट को आर्थिक रूप से लाभकारी संसाधनों में बदलकर भारत के सस्टेनेबिलिटी और ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों को भी सशक्त करेगी।
यह परियोजना इस्पात अनुसंधान एवं विकास केंद्र (Research and Development Centre for Iron and Steel – RDCIS), रांची तथा ऊर्जा प्रबंधन विभाग (Energy Management Department – EMD), कोलकाता द्वारा संयुक्त रूप से संचालित की जा रही है। इसके साथ ही सेल की कई अन्य इकाइयाँ भी इसी प्रकार की पर्यावरण-केंद्रित परियोजनाओं पर समानांतर रूप से कार्यरत हैं।
एमओयू पर हस्ताक्षर भिलाई इस्पात संयंत्र के कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) श्री राकेश कुमार के कार्यालय में सम्पन्न हुए। संयंत्र की ओर से मुख्य महाप्रबंधक (ऊर्जा प्रबंधन विभाग) श्री पी.वी.वी.एस. मूर्ति ने दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर मुख्य महाप्रबंधक (लौह) श्री तापस दासगुप्ता, मुख्य महाप्रबंधक (कोक ओवन एवं कोल केमिकल विभाग) श्री तुलाराम बेहरा, मुख्य महाप्रबंधक (प्लेट मिल) श्री कार्तिकेय बेहरा, मुख्य महाप्रबंधक (ब्लास्ट फर्नेस), मुख्य महाप्रबंधक (इलेक्ट्रिकल), मुख्य महाप्रबंधक (गुणवत्ता) श्री राहुल श्रीवास्तव, महाप्रबंधक (पर्यावरण प्रबंधन) सुश्री उमा काटोच तथा महाप्रबंधक (ऊर्जा प्रबंधन संचालन एवं सामान्य सेवाएँ) श्री सी. चंद्रशेखर सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
एंटिटी 1 वैल्यू इमिशन्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक एवं तकनीकी आविष्कारक श्री कौशिक पलिचा तथा कंपनी के अन्य प्रतिनिधि भी समारोह में शामिल हुए।
पहल के अंतर्गत 1 टन प्रतिदिन क्षमता वाले एक अत्याधुनिक रिएक्टर की स्थापना की जाएगी, जो फ्लू गैसों की पूर्ण धारा का उपचार करने में सक्षम होगा। पारंपरिक कार्बन कैप्चर तकनीक से आगे बढ़ते हुए यह रिएक्टर उत्सर्जन को उपयोगी संसाधनों में परिवर्तित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी तकनीकी नवाचार प्रस्तुत करता है। इसे भिलाई इस्पात संयंत्र परिसर में स्थापित किया जाएगा, जहां प्रारंभिक परीक्षणों के माध्यम से इसकी वाणिज्यिक व्यवहार्यता का आकलन किया जाएगा। यह प्रौद्योगिकी उत्सर्जन में कमी के साथ-साथ फ्लू गैसों से मूल्यवर्धित उत्पादों के निर्माण द्वारा राजस्व-सृजन की नई संभावनाएँ भी खोलेगी।
कार्यक्रम की शुरुआत महाप्रबंधक (ऊर्जा प्रबंधन विभाग) तथा परियोजना समन्वयक श्री अजय गाजघटे के उद्घाटन उद्बोधन से हुई, जिसमें उन्होंने इस साझेदारी की प्रासंगिकता और भिलाई इस्पात संयंत्र के डिकार्बोनाइजेशन मिशन में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
समारोह के दौरान एंटिटी 1 वैल्यू इमिशन्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक श्री कौशिक पलिचा ने पायलट रिएक्टर की प्रमुख तकनीकी विशेषताओं का विस्तृत परिचय दिया तथा बताया कि यह तकनीक फ्लू गैसों की संपूर्ण धारा का उपचार करते हुए उत्सर्जन को उपयोगी उत्पादों में बदल सकेगी।
समारोह के समापन में मुख्य महाप्रबंधक (ऊर्जा प्रबंधन विभाग) श्री पी.वी.वी.एस. मूर्ति ने परियोजना के भावी रोडमैप तथा आगे की रणनीतियों की रूपरेखा प्रस्तुत की और कहा कि यह पहल भिलाई इस्पात संयंत्र को पर्यावरण-मित्र उत्पादन की दिशा में एक नए आयाम पर ले जाएगी।
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र में फ्लू गैस वैल्यूएशन पायलट परियोजना
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