केंद्र सरकार ने पुराने श्रम कानूनों को बदलकर चार नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं. केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कामगारों के भले के लिए उठाया गया ऐतिहासिक कदम बताया है. इन सुधारों का मकसद सिर्फ कानून बदलना नहीं, बल्कि हर श्रमिक को गरिमा, सुरक्षा और आर्थिक मजबूती देना है. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया X पर जानकारी देते हुए लिखा कि आज हमारी सरकार ने चार लेबर कोड लागू कर दिए हैं. ये आज़ादी के बाद से सबसे बड़े और प्रगतिशील श्रमिक-केंद्रित सुधारों में से एक हैं. इससे कामगारों को बहुत ताकत मिलती है, नियम मानना आसान हो जाता है और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को भी बढ़ावा मिलता है.
40 करोड़ लोगों को मिला ‘कवच’
आजादी के पहले और बाद के शुरुआती दौर (1930-1950) में बने 29 पुराने श्रम कानूनों को अब चार नए कोड में समाहित कर दिया गया है. ये हैं- वेतन संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा संहिता. सरकार का तर्क है कि आज की अर्थव्यवस्था और काम करने के तरीके पुराने जमाने से बिल्कुल अलग हैं, इसलिए नियम भी आधुनिक होने चाहिए.
सबसे बड़ा बदलाव ‘नियुक्ति पत्र’ (Appointment Letter) को लेकर है. अब हर कर्मचारी को जॉइनिंग के वक्त अप्वाइंटमेंट लेटर देना अनिवार्य कर दिया गया है. इससे पारदर्शिता आएगी और कंपनियों की मनमानी पर रोक लगेगी. इसके अलावा, असंगठित क्षेत्र के करीब 40 करोड़ कामगारों को अब सामाजिक सुरक्षा (Social Security) के दायरे में लाया गया है. इसका सीधा मतलब है कि उन्हें भी पीएफ (PF), ईएसआईसी (ESIC) और पेंशन जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी.
वहीं भारत के श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख एल० मांडविया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर स्पष्ट किया कि ये सुधार 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे. आइए, विस्तार से समझते हैं कि इन नए नियमों के लागू होने से एक आम कर्मचारी की जिंदगी किस करवट बैठने वाली है.
1 साल की नौकरी पर भी ग्रैच्युटी
प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी ‘फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉइज’ (FTE) यानी निश्चित अवधि के कर्मचारियों को लेकर है. पहले ग्रैच्युटी पाने के लिए एक ही कंपनी में लगातार 5 साल काम करना जरूरी होता था, जिससे अक्सर कर्मचारी वंचित रह जाते थे. नए नियमों के तहत, फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को अब महज एक साल की सेवा के बाद ही ग्रैच्युटी पाने का हक मिल गया है.
इसके साथ ही, ओवरटाइम को लेकर भी स्थिति पूरी तरह साफ कर दी गई है. अगर कोई कर्मचारी तय घंटों से ज्यादा काम करता है, तो उसे सामान्य वेतन से दोगुना (Double Wages) भुगतान करना होगा. वहीं, वेतन का भुगतान समय पर हो, इसके लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं, ताकि महीने के अंत में किसी को आर्थिक तनाव न झेलना पड़े.
महिलाओं और गिग वर्कर्स के लिए खुले तरक्की के नए दरवाजे
नए लेबर कोड में लैंगिक समानता पर विशेष जोर दिया गया है. अब महिलाएं रात की शिफ्ट में भी काम कर सकेंगी, बशर्ते उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों और उनकी सहमति ली गई हो. यह कदम महिलाओं को हाई-पेइंग जॉब्स और सभी प्रकार के उद्योगों (जैसे माइनिंग आदि) में बराबर का मौका देगा. महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन (Equal Pay) की गारंटी भी दी गई है.
वहीं, जोमैटो, स्विगी, ओला और उबर जैसे प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाले ‘गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स’ को पहली बार कानूनी ढांचे में परिभाषित किया गया है. अब कंपनियों (Aggregators) को अपने सालाना टर्नओवर का 1-2% हिस्सा इन वर्कर्स के कल्याण के लिए देना होगा. आधार से लिंक ‘यूनिवर्सल अकाउंट नंबर’ (UAN) के जरिए वे देश के किसी भी कोने में अपनी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे.
40 की उम्र पार कर चुके कर्मचारियों का खास ख्याल
काम के साथ-साथ सेहत को भी प्राथमिकता दी गई है. नए नियमों के अनुसार, नियोक्ताओं (Employers) को अपने उन सभी कर्मचारियों का साल में एक बार मुफ्त हेल्थ चेकअप कराना होगा, जिनकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है. यह कदम गंभीर बीमारियों की समय रहते पहचान और कर्मचारियों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है.
इसके अलावा, खतरनाक क्षेत्रों (Hazardous Sectors) में काम करने वाले श्रमिकों के लिए 100% स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी दी गई है. ईएसआईसी (ESIC) का दायरा अब पूरे देश में फैला दिया गया है, जिससे छोटी संस्थाओं में काम करने वाले लोग भी इलाज की सुविधा पा सकेंगे. एमएसएमई (MSME) सेक्टर, टेक्सटाइल और आईटी सेक्टर के लिए भी अलग-अलग प्रावधान किए गए हैं, ताकि काम के घंटे संतुलित रहें और कर्मचारियों का शोषण न हो.













