3,200 करोड़ रूपये के शराब घोटाले से जुड़े मनी लान्ड्रिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की याचिका पर हाई कोर्ट में बहस पूरी हो गई हैं। फैसला घोषणा के लिए रख लिया गया हैं। चैतन्य बघेल 18 जुलाई से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन्होने ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए राहत की मांग की थी, जबकि ईडी ने मनी लान्ड्रिंग के आरोपों पर विस्तृत तर्क प्रस्तुत किए। इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच में हुई। ईंडी के अनुसार, चैतन्य बघेल को शराब घोटाले से 16.70 करोड़ रूपये प्राप्त हुए हैं। जिन्हे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवश किया गया।
साथ ही 1,000 करोड़ रूपये की हैंडलिंग की गई हैं। ईडी ने यह भी पाया कि चैतन्य के विल ग्रीन प्रोजेक्ट में घोटाले के पैसे का निवेश किया गया। प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेंद्र जैन ने बताया कि वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ रूपये था, जबकि रिकार्ड में केवल 7.14 करोड़ रूपये दर्शाया गया। जब्त डिजिटल डिवाइस से पता चला कि बघेल की कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया, जो रिकार्ड में नहीं दिखाया गया। ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने कहा कि चैतन्य ने बहुत सारे पैसों की लेयरिंग की है और 1,000 करोड़ रूपये का लेनदेन किया हैं। शराब के घोटाले के पैसों को चैनलाइज्ड करके चैतन्य बघेल तक पहुंचाया जाता था। लिंकर स्कैम का पैसा अनवर ढेबर के जरिए दीपेंद्र चावड़ा फिर वह पैसा केके श्रीवास्तव और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल और उसके बाद चैतन्य बघेल के पास पहुंचता था। इधर बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने आरोप लगाया कि चैतन्य की गिरफ्तारी पप्पू बंसल के बयान पर आधारित है, जो उचित नहीं हैं। उन्होने कहा कि चैतन्य बघेल ने जांच में सहयोग किया हैं, लेकिन उन्हें बिना समन के गिरफ्तार किया गया हैं। उनका अपराध केवल इनता है कि वह पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र हैं।













