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आखिर चुनावी प्रक्रिया में ‘NOTA’ का विकल्प क्यों लाया गया…..

आपको किसी पार्टी का कोई उम्मीदवार पसंद न हो और आप उनमें से किसी को भी अपना वोट देना नहीं चाहते हैं तो फिर आप क्या करेंगे. इसलिए निर्वाचन आयोग ने ऐसी व्यवस्था की कि वोटिंग प्रणाली में एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाए ताकि यह दर्ज हो सके कि कितने फीसदी लोगों ने किसी को भी वोट देना उचित नहीं समझा है. यानी अब चुनावों में आपके पास एक और विकल्प होता है कि आप इनमें से कोई नहीं का भी बटन दबा सकते हैं. यानी आपको इनमें से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है. ईवीम मशीन में NONE OF THE ABOVE यानी NOTA का गुलाबी बटन होता है. दरअसल, भारत निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में इनमें से कोई नहीं अर्थात नोटा (None of the above, or NOTA ) बटन का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. नोटा उम्मीदवारों को खारिज करने का एक विकल्प देता है. ऐसा नहीं है कि वोटों की गिनती की समय उनके वोटों को नहीं गिना जाता है. बल्कि नोटा में कितने लोगों ने वोट किया, इसका भी आकलन किया जाता है. चुनाव के माध्यम से पब्लिक का किसी भी उम्मीदवार के अपात्र, अविश्वसनीय और अयोग्य अथवा नापसन्द होने का यह मत केवल यह सन्देश मात्र होता है कि कितने प्रतिशत मतदाता किसी भी प्रत्याशी को नहीं चाहते हैं.
. भारत, ग्रीस, युक्रेन, स्पेन, कोलंबिया और रूस समेत कई देशों में नोटा का विकल्प लागू है.नोटा के मत गिने तो जाएंगे पर इसे रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाएगा. इस तरह से स्पष्ट ही था कि इसका चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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