Monday, December 8

कोरबा। किसी भी मौसम में सब्जियों के रोग रहित और हेल्दी थरहा उपलब्ध कराने के मामले में कोरबा जिले के पताड़ी और पंडरीपानी की दो सीडलिंग युनिट किसानों के लिए अलादीन का चिराग साबित हो रहीं हैं। इन दोनो युनिटों से अभी तक दो लाख से अधिक सब्जियों के थरहा तैयार कर किसानों को वितरित कर दिए गए हैं। इन दोनों युनिटों के शुरू हो जाने से कोरबा ही नहीे बल्कि आसपास के सीमावर्ती जिलों जांजगीर-चांपा, रायगढ़, कोरिया के सब्जी उत्पादक किसानों की थरहा लगाकर उसे सहेजने की चिंता और मेहनत अब खत्म हो गई है। सीडलिंग युनिटों से किसानों को सब्जी और मसाला वर्गीय फसलों के थरहा केवल साठ पैसे की लागत पर मिल रहे हैं और उन्हें थरहा लगाने, पानी देने, खाद-दवा आदि के साथ-साथ थरहा के देखरेख की झंझट से छुटकारा मिल गया है। इन युनिटों के पूरी तरह शुरू हो जाने के बाद जिले में कम लागत में सब्जियों का उत्पादन भी बढ़ गया है। कोरबा विकासखण्ड के पताड़ी और कटघोरा विकासखण्ड के पण्डरीपानी की सरकारी उद्यानिकी नर्सरियों में यह अत्याधुनिक मिनी प्लग टाईप सीडलिंग उत्पादन इकाईयॉं शुरू की गई हैं। इन दोनो युनिटों में टमाटर, बैगन, हरी मिर्च, फूल गोभी, पत्ता गोभी के साथ-साथ करेला और लौकी जैसी सब्जियों के थरहा भी बन रहे हैं। डीएमएफ फण्ड से साठ-साठ लाख रूपये की लागत से स्थापित इन दोनों यूनिटों में किसान को सब्जी एवं मसाला वर्गीय फसलों की नर्सरी बहुत कम लागत में तैयार करने की सुविधा मिल रही है। किसान सब्जियों एवं मसाला फसलों की नर्सरी तैयार करने के लिए स्वयं का बीज लेकर नर्सरी में आ रहे हैं। ग्राम बेंदरकोना के किसान सूर्यकांत ठाकुर ने सीडलिंग युनिट से करेला और टमाटर के पौधे तैयार कराये हैं। सूर्यकांत बताते हैं कि इस यूनिट के लग जाने से अब सब्जी की नर्सरी तैयार करने के स्तर पर होने वाला जोखिम पूरी तरह से खत्म हो गया है। किसान को पहले अपने खेतों में नर्सरी तैयार करने में पानी की कमी से लेकर रोग-कीट-व्याधी आदि का पूरा जोखिम स्वयं उठाना पड़ता था। उत्पादन इकाई में नर्सरी को नियंत्रित वातावरण में बीजों का अंकुरण कर तैयार किया जाते हैं, जिससे किसानों का यह जोखिम पूरी तरह खत्म हो गया है और उन्हें सामान्य से अधिक संख्या में स्वस्थ तथा रोग रहित पौधे समय पर मिल रहे हैं। इसी तरह रजगामार के किसान चंद्रप्रकाश अग्रवाल ने सीडलिंग युनिट से टमाटर और मिर्ची के थरहा बनाकर खेतों में लगाए हंै। चंद्रप्रकाश बताते हैं कि सीडलिंग युनिट में बने थरहों को खेतों में लगाने पर सब्जियों का उत्पादन सामान्य थरहों की अपेक्षा 20 प्रतिशत तक अधिक हो रहा है। इन युनिटों में किसी भी मौसम में सब्जियों के थरहा बनाये जा सकते हैं। सब्जियों के बीजों का अंकुरण भी इन दोनों युनिटों में सामान्य अंकुरण से 90 से 100 प्रतिशत तक होता है। दोनों पौधे उत्पादन इकाई की प्रतिवर्ष दस लाख़ पौधों की नर्सरी 20 से 30 दिन में तैयार करने की क्षमता है। इस वर्ष कोरोना काल के बाद भी दोनो युनिटों ने दो लाख से अधिक सीडलिंग उत्पादित कर किसानों को उपलब्ध करायें हैं। इन यूनिटों में टमाटर, बैगन, मिर्च, शिमला मिर्च, पत्ता गोभी, फूल गोभी, गांठ गोभी, ब्रोकली, लेट्यूस, खीरा, लौकी, कुम्हड़ा, तरबूज और करेला जैसी फसलों की नर्सरी तैयार की जा सकती है। इन दोनों यूनिटों में बीज आटोमेशन सिस्टम, बीज अंकुरण चेम्बर, हार्डिनिग चेम्बर, फार्टिगेशन सिस्टम सहित पानी की उपलब्धता के लिए 10 हजार लीटर क्षमता की टंकी भी स्थापित की गई है। पौधों के उत्पादन के लिए बीज अंकुरण कोकोपिट, वर्मी कुलाईट एवं परलाईट से निर्मित माध्यम में कराया जाता है। पौध उत्पादन इकाई में बीजों के नियंत्रित वातावरण में अंकुरण से तैयार हुए पौधों में जड़ों का भी पर्याप्त विकास हो जाता है, जिससे खेतों में लगाने पर उनके जीवित रहने की भी संभावना बढ़ जाती है। ऐसे पौधों में जल्दी ही सब्जियों के फल भी लगने लगते है।

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