महासमुंद। उज्जैन की अंतर्राष्ट्रीय संत देवी वर्षा नागर ने कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का नाम जपने से जीवन का उद्धार हो जाता है। श्रीराम कथा मानव जीवन से जुड़ी है और उसे आत्मसात करने की जरूरत है। ग्राम केशवा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान चैथे दिन बुधवार को संत देवी वर्षा नागर ने राम जन्मोत्सव से वनवास तक का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जीवन में भगवान श्रीराम की कृपा हो वह भाग्यशाली है। राम नाम ही सत्य है। मोक्ष प्राप्ति का एक मात्र रास्ता है भगवान की भक्ति। भक्ति के आगे कोई शक्ति नहीं है। संत देवी वर्षा नागर ने बताया कि मनु और शतरूपा ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कई सालों तक कठोर तप किया। कठोर तप की वजह से भगवान ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने के लिए कहा। जिस पर मनुष्य जीवन व शतरूपा जैसी पत्नी। तीसरा वरदान के रूप में ने भगवान से उनके जैसा ही पुत्र पाने की इच्छा जताई। हालांकि दोनों की इस इच्छा को सुनकर भगवान ने कहा कि उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हो सकती क्योंकि इस संसार मेरे जैसा दूसरा कोई नहीं है। भगवान की इस बात को सुनकर मनु और शतरूपा निराश हो गए, जिसके बाद उनकी निराशा को देखकर भगवान ने कहा तुम्हारी ये इच्छा अगले जन्म में पूरी हो पाएगी। कुछ समय बाद तुम्हारा जन्म राजा दशरथ के रुप में आयोध्या में होगा। तभी भगवान उनके पुत्र के रुप में जन्म लेकर उनकी इस इच्छा को पूरी कर सकेंगे। आयोध्या के राजा दशरथ के यहां उनके पुत्र श्रीराम के रुप में जन्म लिया और मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर उन्होंने रघुकुल का मान बढ़ाया। इसी तरह संत वर्षा नागर ने भगवान राम के वनवास गमन का भी वर्णन किया। कथा के दौरान कई भजन भी प्रस्तुत किए गए। इन भजनों पर श्रद्धालुओं ने खूब आनंद लिया। कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।
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