जब भी छत्तीसगढ़ी साहित्य की बात होती है तो जनाब मीर अली मीर साहब का नाम पूरी शिद्दत के साथ लिया जाता है। अगर आप छत्तीसगढ़ी साहित्य में रूचि रखते है तो आपको वो छत्तीसगढ़ी गीत जरुर याद होंगे, जिनके बोल है नंदा जाही का रे…। जी हां इस गीत के रचियता मीर अली मीर साहब है। छत्तीसगढ़ राज्य के लोक कवि मीर अली मीर साहब ने नंदा जाही का रे जैसी माटी की महक बिखेरने वाली गीत लिखी है। मीर अली मीर छत्तीसगढ़ी साहित्य की दुनिया में बड़ा नाम हैं, मीर अली मीर पेशे से शिक्षक रहे हैं। उनकी कविता में छत्तीसगढ़ के माटी की सौंधी खुशबु आती है। साहित्य साधक जनाब मीर अली मीर साहब के चाहने वालों का कहना है कि मीर साहब को एक बार भारत सरकार को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाना चाहिये। प्रशंसकों का यह भी कहना है कि छत्तीसगढ़ राज्य की विलुप्त होती ग्रामीण कला संस्कृति को अपने साहित्य के माध्यम से सामने लाने का भागीरथी प्रयास कर रहे है और छत्तीसगढ़ की माटी की सौंधी खुशबु को पूरे देश में फैला रहे हैं। उनके प्रशंसकों का यह भी कहना है जनाब मीर अली मीर साहब के छत्तीसगढ़ी, हिंदी साहित्य के क्षेत्र में किये उल्लेखनीय योगदानों को सम्मानित करते हुए एक बार पद्मश्री सम्मान तो बनता ही है।
आइये जानते है जनाब मीर अली मीर के जीवन के बारे में-
सैयद अयूब अली मीर (उपनाम-स्टेज नाम मीर अली मीर) का जन्म 15 मार्च 1953 को छत्तीसगढ़ राज्य के कवर्धा (कबीरधाम) में हुआ। पिता सैयद रहमत अली मीर तो माता का नाम सैयद शरीफा बानो। शिक्षा बीए, सीपीएड। विशेष-1 संरक्षक आरुण चौरा-मासिक पत्रिका आंचलिक रचनात्मक उत्थान गुड़ी, माटी के सोंध, 2 अध्यक्ष चेतना साहित्य एवं कला परिषद रायपुर (छत्तीसगढ़)।
संस्कृति एवं सामाजिक चिंतन के गीत:-1 विलुप्त होती संस्कृति पर चिंतन, 2 नशामुक्ति, महिला प्रताडऩा, भू्रण हत्या, भ्रष्टाचार, पलायन एवं बंटवारा, 3 मातृ वंदना एवं देशभक्ति। उपरोक्त विषयों को लेकर अपनी कविताएं ओर गीतों का प्रस्तुतीकरण। गीत आदि काल से सर्वप्रिय रहा है। गेयता मनुष्य के हृदय को झंकृत करती है। मानवीय संवेदनाएं एवं अवगुणों को रेखांकित करना मेरा प्रयास रहता है। आज समाजपयोगी संभावना की हमें तलाश है।
साहित्य सफर:- विद्यालय/क्षेत्रीय/राज्य स्तरीय/अखिल भारतीय, 9 साल की उम्र में चौथी पास (1962), कविता-रंच मात्र धरती भी देना हमें नहीं स्वीकार है, भारत का हर वीर सिपाही पत्थर की दीवार है। भजन-शिव बोले, बम-बम भोले, सेवक चरणों में लाज हो, प्रभु पार लगा दो नावरिया।
छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित अखिल भारतीय मंचों के काव्य पाठ
अखिल भारतीय
1 छत्तीसगढ़ विधानसभा 2012 नवा रायपुर
2 राज्योत्सव 2012 नवा रायपुर
3 नव-भारत हास्य कवि सम्मेलन
4 चक्रधर समारोह रायगढ़
5 जाजल्यदेव महोत्सव-जांजगीर
6 सिरपुर महोत्सव
7 डोंगरगढ़ महोत्सव
8 भोरमदेव महोत्सव
9 अखिल भारतीय मुशायरा छग उर्दू अकादमी
10 स्वराज एक्सप्रेस इंडोर स्टेडियम
विशेष:- देश के ख्यातिलब्ध कवियों/कवयित्रियों शायरों के साथ मंच साझा।
हरिओम पवार, मनव्वर राणा, राहत इंदौरी, कुमार विश्वास, सुनील जोशी, विनीत चौहान, अशोक सुंदरानी, आशिष अनल, प्रताप फौजदार, कविता तिवारी, अंजुम रहबर, शबीना अदिब इतियादी अन्य।
नाटक-कमला मेमोरियल सोसाइटी रायपुर के सौजन्य से-मानस थियेटर द्वारा प्रस्तुत नाटक कबीर के राम में अभिनय।
प्रस्तुति-खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय, भोरमदेव महोत्सव, अग्रसेन धाम सालसर मंदिर रायपुर।
आकाशवाणी, दूरदर्शन, आईबीसी 24 टीवी चैनल लल्लूराम डाट कॉम, बंसल न्यूज आदि में काव्य पाठ।
छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर:-गुजरात-एक भारत श्रेष्ठ भारत अंतर्गत राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव अहमदाबाद 8 अक्टूबर 2017, महाराष्ट-अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, मध्यप्रदेश-अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, ओडिशा-अखिल भारतीय कवि सम्मेलन।
छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिला मुख्यालयों, कस्बों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सतत सक्रियता, विभिन्न साहित्यक संस्थानों के रचनाकारों के साथ जागरूकता के कार्यक्रमों में संलग्र।
धार्मिक आयोजनों में यथा- नवरात्रि, गणेश पूजा, नातिया मुशायरा, सस्वर मानस गान प्रतियोगिता, महाभारत ज्ञान सप्ताह, गुरु घासीदास स्मृति, पंडवानी गायन प्रतियोगिता।
सामाजिक आयोजनों में- विशेष कर:-कुर्मी समाज, ब्राम्हण समाज, साहू समाज, सतनामी समाज, आदिवासी समाज, जायसवाल समाज, मुस्लिम समाज, सिक्ख समाज, यादव समाज, किसान मितान।
शिक्षा विभाग-विद्यालय, महाविद्यालय, शिक्षा महाविद्यालय, विश्व विद्यालय।
तकनीकी विभाग-रेडियो, दूरदर्शन, यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, विभिन्न टीवी चैनल।
फिल्म भूलन द मेज में दो गीत
छत्तीसगढ़ी फिल्म (भूलन कांदा उपन्यास), अंतर राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में चर्चित, निर्माता निर्देशक मनोज वर्मा, कहानी संजीव बख्शी।
आडियो-वीडियो- आगे तीजा के तिहार, गीतकार मीर अली मीर, निर्माता निर्देशक दिग्वजय वर्मा, गायन चंपा निषाद (क्रियेटिव विजन रायपुर)।
कविता गांव की चौपाल में-गांव गरीब अउ किसान, नशामुक्ति, महिला उत्पीडऩ, राजभाषा का विकास।
कोरोना काल-तकनीकी ज्ञान के आधार पर फेसबुक पेज, इंस्टाग्राम एवं यूट्यूब पर जनजागृति का प्रयास।
पुस्तक प्रकाशक-छत्तीसगढ़ी-नंदा जाही का…(कमरा अउ खुमरी), हिन्दी-कलख, संयुक्त काव्य संग्रह।
सम्मान-छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण (साहित्य/आंचलिक साहित्य) पंडित सुंदरलाल शर्मा अलंकरण, संत पवन दीवान स्मृति अस्मिता सम्मान पूर्व मंत्री मप्र शासन एवं सांसद, अगासदीया (अगासदीया) आमदी नगर भिलाई छत्तीसगढ़ गौरव सम्मान, अरुणोदय बहुआयामी साहित्य समिति दल्लीराजहरा जिला बालोद अरुणोदय रत्न, रायपुर सराफा एसोसियेशन, अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता सप्ताह समापन समारोह साक्षरता पर कविता, शिखर साहित्य सम्मान, तिरोड़ी महासमुंद जिला-बालाघाट (मप्र) सहित अन्य सम्मानों से सम्मानित किया गया।