Friday, December 12

राजनांदगांव। क्षय रोग (टीबी) पर नियंत्रण करने के लिए द क्लाक इज टिकिंग थीम पर जिला एवं विकासखंड स्तर पर विश्व क्षय दिवस मनाया गया। इस दौरान टीबी रोग से बचाव हेतु विभिन्न माध्यमों से संदेश प्रसारित किए गए। जगह.जगह मास्क वितरण किया गया जिसमें टीबी हारेगा-देश जीतेगा, टीबी मुक्त छत्तीसगढ़ की ओर अग्रसर जैसे कई प्रेरक नारे लिखे हुए थे। अस्पतालों में बैनर-पोस्टर भी लगाए गए, ताकि टीबी बीमारी के लक्षणों को बताकर इससे बचाव के लिए लोगों को जागरुक किया जा सके। इस मौके पर जिले के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में टीबी के लक्षणों और इलाज संबंधी जागरुकता शिविरों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर लोगों को बताया गया कि, क्षय दिवस पर आयोजित शिविर का उद्देश्य लोगों को टीबी बीमारी से बचाव के प्रति जागरुक करना है। टीबी के लक्षण दिखने पर मरीज को तत्काल इलाज की सुविधा प्रदान कर इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, इसलिए इससे घबराने के बजाए सबसे पहले इलाज शुरू कराना चाहिए। डॉट्स पद्धति के जरिए इसका पूरा कोर्स लेने से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। पुराना जिला अस्पताल में भी कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए जागरुकता शिविर लगाया गया।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी ने बताया, शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों में टीबी रोग का नि:शुल्क जांच व उपचार किया जाता है। चिकित्सक के निर्देशानुसार निश्चित समयावधि तक दवाइयां लेने से टीबी रोग पूर्ण रूप से ठीक हो सकता है। जिस किसी को भी टीबी के लक्षण नजर आते हैं तो वह जल्द से जल्द सरकारी अस्पताल में जाकर अपना इलाज करवा सकते हैं। अस्पताल में बलगम की जांच बहुत जल्द तथा मुफ्त की जाती है। वहीं जिला क्षय अधिकारी डॉ. अल्पना लूनिया ने बताया, श्हर साल 24 मार्च को विश्व क्षय दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने साल 2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उससे भी पहले यानि 2023 तक छत्तीसगढ़ को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए क्षय रोगियों को खोजने से लेकर उनका इलाज करने, पोषण हेतु उनको वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। इसके अतिरिक्त जल्द टीबी को समाप्त करने के उद्देश्य से प्राइवेट अस्पतालों के साथ भी समन्वय स्थापित कर उनका सहयोग लिया जा रहा है, ताकि निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले लोगों को भी चिन्हित किया जा सके और उनको बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने बताया, टीबी रोग किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल भी सकता है, लेकिन इसका उपचार भी किया जा सकता है। टीबी के लक्षण प्रतीत होने पर पीडि़त को इलाज कराने के लिए बिना देर किए सामने आना चाहिए, ताकि समुचित इलाज किया जा सके।
जगह-जगह मास्क वितरण
टीबी की रोकथाम हेतु लोगों को जागरुक करने के लिए विभिन्न शासकीय कार्यालयों, जनप्रतिनिधियों, जनसामान्य, व्यापारियों को टीबी हारेगा-देश जीतेगा, टीबी मुक्त छत्तीसगढ़ की ओर अग्रसर आदि प्रेरक संदेश युक्त मॉस्क का वितरण किया गया। माईकिंग के माध्यम से भी जनसामान्य को टीबी रोग की जांच एवं उपचार के संबंध में जागरूक करने का प्रयास किया गया।
टीबी के प्रमुख लक्षण
टीबी के प्रमुख लक्षणों में दो सप्ताह से खांसी आना, भूख कम लगना, वजन कम होना, बलगम में रक्त आना तथा छाती में दर्द होना है। ऐसे व्यक्तियों को तुरंत अपनी बलगम की जांच करवानी चाहिए।

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