Monday, December 8

शिव पुराण के मुताबिक, भगवान विष्णु ने सुख और कामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान विश्वकर्मा से विभिन्न प्रकार के शिवलिंग बनाकर देवताओं को देने की आज्ञा दी. इसके बाद विश्वकर्मा ने अलग- अलग पदार्थों, धातुओं और रत्नों के शिवलिंग निर्मित किये तथा सभी शिवलिंगों का नाम अलग-अलग रखे. इन अलग -अलग शिवलिंगों का महत्त्व भी अलग- अलग बताया गया. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, शिवलिंग ब्रहमांड का प्रतिनिधित्व करता है. इसमें इसके पूजन का विशेष महत्व बतलाया गया है. जो व्यक्ति अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के दोषों, परेशानियों, असाध्य रोगों, दुखों, आर्थिक तंगी, संतान का अभाव आदि जैसी विभिन्न समस्याओं से पीडि़त है, तो इससे मुक्ति पाने के लिए हिंदू धर्म ग्रंथों में उपाय बताये गए हैं. इन्हीं में से जब कोई व्यक्ति असाध्य रोग से ग्रस्त है, तो उसे मिश्री या चीनी से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने इससे छुटकारा मिलता है. हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक, यदि आप या आपका कोई करीबी किसी असाध्य या गंभीर रोगों से ग्रस्त हो और काफी इलाज के बाद भी ठीक नहीं हो रहा हो तो उसे मिश्री या चीनी से बने शिवलिंग की पूजा विधि-विधान से करने से लाभ होगा. ऐसी मान्यता है कि मिश्री से बने शिवलिंग की पूजा करने से रोगों का नाश होता है. शिव पुराण के अनुसार मिश्री से बने शिवलिंग की पूजा से कई तरह के शारीरिक रोग और पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है. इसके नियमित पूजन से असाध्य रोगों से छुटकारा मिलने के साथ-साथ प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है. भक्त को सुबह उठकर स्नानादि करने के बाद पूजा की वेदी पर बैठना चाहिए. अब पूजा की चौकी पर मिश्री से बनी शिवलिंग को स्थापित करें. उसके बाद शिलिंग पर शुद्ध जल, बिल्व पत्र और धतूरा आदि अर्पित करें. उसके बाद शिव चालीसा और शिव आरती करें. पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरण करें. जरूरत मंद लोगों को भोजन कराएं.

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