रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के राज्य सूचना आयुक्त श्री धनवेन्द्र जायसवाल ने 18 अगस्त 2021 को बड़ी कार्रवाई करते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का समय पर पालन नहीं करने और समय पर आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं कराने, सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रति घोर लापरवाही और अज्ञानता के लिए तत्कालीन तीन जनसूचना अधिकारियों को 5 प्रकरणों पर 25-25 हजार रूपए अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए अधिरोपित राशि तत्काल जमा कर चालान की प्रति आयोग को प्रेषित करने निर्देश दिए हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता लाने और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना और वास्तविक अर्थ में हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है। यह स्पष्ट है कि एक जानकार नागरिक प्रशासन के साधनों पर आवश्यक सतर्कता बनाए रखकर सरकार को अधिक जवाबदेह बनाता है। शिकायकर्ता श्री शरद देवांगन ने जनसूचना अधिकारी (सचिव) ग्राम पंचायत शंकरपाली श्री पद्मलोचन चक्रपाणी, सचिव पुटीडीह श्री नरहरि प्रसाद पटेल, सचिव छवारीपाली श्री अलेख राम सिदार और जनसूचना अधिकारी (सचिव) ठाकुरपाली विकासखण्ड डभरा जिला जांजगीर-चाम्पा से एक अप्रैल 2013 से 31 अक्टूबर 2016 के मध्य स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत शौचालय निर्माण के लिए हितग्राहियों को जारी राशि के चेक की काउंटर फाईल की मांग की थी। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 (1) के तहत आवेदन प्राप्ति के 30 दिवस के भीतर जानकारी आवेदक को देना होता है, किन्तु जनसूचना अधिकारी ने समयसीमा में जानकारी आवेदक को उपलब्ध नहीं कराया। जानकारी प्राप्त न होने के कारण आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी को आवेदन किया कि जानकारी उपलब्ध कराएं, किन्तु प्रथम अपीलीय अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत डभरा के विनिश्चय (निर्णय) के बाद भी जनसूचना अधिकारियों ने आवेदक को जानकारी नहीं उपलब्ध कराया। राज्य सूचना आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने प्रकरण का बारिकी से परीक्षण किया और आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं कराने पर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत 5 प्रकरणों पर जनसूचना अधिकारी 25-25 हजार रूपए अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए मुख्यकार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत डभरा को निर्देश दिए हैं कि अर्थदण्ड की राशि की वसूली संबंधित जनसूचना अधिकारी के वेतन से काटकर शासकीय कोष में जमा कराकर आयोग को पालन प्रतिवेदन प्रेषित करें। इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में आवेदक श्री शरद देवांगन ने जनसूचना अधिकारी ग्राम पंचायत छुछुभांठा जनपद पंचायत डभरा जिला जांजगीर चाम्पा से मूलभूत मद से किए गए व्यय की एक अप्रैल 2006 से 31 मार्च 2016 के मध्य के समस्त चेक रजिस्टर, लेजर, कैशबुक और व्हाउचर की छायाप्रति की मांग की थी। जनसूचना अधिकारी ने अपने पत्र के माध्यम से आवेदक के आवेदन को कई विषय होने के कारण अस्वीकृत कर दिया। जानकारी प्राप्त न होने के कारण आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी को आवेदन किया, जिस पर प्रथम अपीलीय अधिकारी ने गलत ढंग से आवेदन का निराकरण किया। प्रथम अपीलीय अधिकारी के निर्णय संतोषजनक नहीं होने के कारण आवेदक ने द्वितीय अपील छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में किया। आयोग के सूचना पत्र के देने के बाद भी प्रथम अपीलीय अधिकारी सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुआ और न हीं कोई जवाब प्रस्तुत किया जो, आपत्तिजनक है। राज्य सूचना आयुक्त श्री जायसवाल ने आवेदन के गुणदोष और आवेदक के तर्क को ध्यान में रखते हुए अनावेदक को पक्ष रखने अवसर प्रदान किया गया और जिला पंचायत जांजगीर-चाम्पा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को सचिव ग्राम पंचायत छुछुभांठा के विरूद्ध कार्यवाही करने निर्देश भी दिए गए। श्री जायसवाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत 25 हजार रूपए का अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए मुख्यकार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत डभरा को निर्देश दिए हैं कि अर्थदण्ड की राशि की वसूली संबंधित जनसूचना अधिकारी के वेतन से काटकर शासकीय कोष में जमा कराकर आयोग को पालन प्रतिवेदन प्रेषित करें।
जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं कराने पर पॉच जनसूचना अधिकारी पर 25-25 हजार रूपए का अर्थ दण्ड अधिरोपित
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