Tuesday, August 26


तेलीगुंडरा (पाटन ) । तेलीगुंडरा मे आयोजित विशाल कर्मा जयंती एवं सामुहिक आदर्श विवाह समारोह मे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साहू समाज के मांग पर त्वरीत अमल करते हुये शासकीय नवीन महाविद्यालय रानीतराई (पाटन ) का नाम ग्राम तेलीगुंडरा के ही निवासी दानवीर , छ.ग.शासन से भामाशाह सम्मान से सम्मानित स्व.दाऊ रामचंद्र साहू के नाम से किये जाने का मंच से घोषणा किये ,जिसका साहू समाज के साथ ही मंच के आस पास बैठे सभी समाज के लोगो ने भी ताली बजाकर मुख्यमंत्री के घोषणा का स्वागत किया ।
स्व.दाऊ रामचंद्र जी साहू यथा नाम तथा गुण रखने वाले महामानव थे जिनका सोच बहुत ही दूर दृष्टी रखने वाला था उनका सोच था कि उच्च शिक्षा,उत्तम स्वास्थ्य व उन्नत कृषि के बिना श्रेष्ठ व व्यवस्थित समाज की परिकल्पना को सकार नही किया जा सकता हैं,और उनका यही सोच ही शिक्षा ,स्वास्थ्व ,व कृषि सुधार मे ही पूरा जीवन लगा दिया ।उच्च शिक्षा के लिये उन्होने अपने 65 एकड जमीन का दान ,अपने स्वयं के गाव को छोडकर पाटन जैसे कस्बे मे हाई स्कूल बनाने के लिये इसलिये दिये कि अंचल के अन्य गांव से आने वाले बच्चो को सुविधा होने के साथ ही अधिक से अधिक लोग भी उच्च शिक्षा ग्रहण कर सके ।
और जिसका नतिजा भी हम सब के सामने हैं ,आज पाटन क्षेत्र के लोग शिक्षा व राजनिती के क्षेत्र मे बहुत ही आगे हैं ।
इसी तरह वे अपने गांव तेलीगुंडरा मे भी बच्चो की बेहतर शिक्षा के लिये ताउम्र सरकारी स्कूल व वहाँ की सरकारी चिकित्सालय का बरसात पूर्व देखरेख व पानी से बचाव के लिये टूट फूट का मरम्मत करवाते रहे थे ।जिसका ही नतिजा रहा है कि ग्राम तेलीगुंडरा का सरकारी चिकित्सालय सन् 1974 से ही आज तक सुव्य्वस्थित ढंग से आज भी चल रहा है।
कृषि के क्षेत्र मे भी व्यापक सुधार के लिये भी उन्होने विशाल बांध एवं तालाब अपने ही निजी जमीन पर ही सर्व जनो के लिये ही बनवाया हैं ,जिसे लोग अपने दैनिक निस्तारी के साथ ही जरूरत पडने पर खेती के लिये भी उक्त बांध की पानी को सिंचाई के लिये उपयोग करते हैं ,क्यो कि तेलीगुंडरा मे सिंचाई सुविधा आज भी व्यापक रूप से उपल्ब्ध नही हैं ,नहर नाली का सबसे अंतिम गांव छोर है ,नदी से गांव दूर होने के कारण भूमिगत जल स्रोत ट्य्बवेल भी सिंचाई के लिये उपयुक्त नहीं हैं ,जल स्तर काफी नीचे हैं,
इसलिये यहाँ की कृषि कार्य पूरा पूरा मानसून का जूआ ही हैं। पूरे दूर्ग जिले मे यह गांव आकाल गांव के नाम से भी जाने जाते हैं ।
बहुत से अन्य गांव के सम्मपन्न लोग इसी आकाल गाव के कारण शादी मे बेटी देने मे भी कतराते थे ,ये अलग बात है कि स्थिति मे अब धीरे धीरे व्यापक सुधार हो रहा हैं ।
बार बार आकाल की स्थिति को देखते हुये भी स्व.दाऊ जी ने यहां खाद्यान्न की समस्या को दूर करने के लिये वैकल्पिक तौर पर रामकोठी (धान कोठी )का स्थापना करवाया था जहाँ विशेष मुसीबत की परिस्थिती मे फंसे लोगो को बहुत ही कम ब्याज दर पर खाद्यान्न दिया जाता था जो आज व्यापक रूप ले रखा हैं ।
जिसका मुसीबत मे फसे गांव के लोगो के लिये एक बहुत ही बडा सहारा था , खाद्यान्न बैंक जैसा था ,ये अलग बात है कि पिछले कुछ वर्षौ से शासन स्तर पर जन कल्याणकारी योजना के कारण से खाद्यान्न की समस्या दूर हो गया हैं ।दाऊ जी यहां पर ही नही रूके बल्कि निजी तौर पर भी मुसीबत मे फंसे बहुत से लोगो का बीच बीच मे आर्थिक मदद भी करते थे ,गांव के ही बहुत से भूमिहीन लोगो को भी जीवको पार्जन के लिये अपने जमीन दान किये थे ।स्व.दाऊ जी का जीवन पूर्णत: सादगी एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के जीवन से ओत प्रोत था
सादा जीवन उच्च विचार की उसमे भावना ही था खान पान पुर्णत: शूद्ध शाकाहारी सात्विक ही था ,नशापान से कोसो दूर था
कपडे शुद्ध सूती व खादी ही पहनते थे ,आधुनिक मशनरी चीज का भी बहुत ही कम प्रयोग किया करते थे , वे अक्सर पैदल चलने व साइकिल चलाने मे ही आनंद लेते थे ।
ऐसे महान विभूति के नाम से रानीतराई महाविद्यालय का नाम करण से पूरे साहू समाज गौरवांवित महसूस कर रहा हैं ,
पाटन तहसील साहू समाज के अध्यछ दिनेश साहू ,उपाध्यछ डाँ गुलाब साहू ,महासचिव खेम लाल साहू ,परिक्षेत्रीय अध्यछ डुलेश्वर साहू ,हरिशंकर साहू ,कल्याण साहू ,डाँ सुरेश साहू ,किशन हिरवाणी ,वरिष्ठ पदाधिकारी गंगादीन साहू ,नंदलाल साहू , ,कृषि उपज मंडी अध्यक्ष अशवनी साहू ,धनराज साहू डाँ हिमांचल साहू , परस साहू ,गीता लाल साहू ,दिलीप साहू सहित छ.ग.पर्यावरण मित्र समिति के अध्यछ व समाजिक कार्यकर्ता डाँ अशवनी साहू ने
छ.ग.शासन के मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी का हर्ष व्यक्त करते हुये आभार माना हैं ।

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