Home » सावधान! दूसरे को वाहन देने से पहले 100 बार सोचें, नहीं तो काटनी पड़ेगी जेल, भरना होगा जुर्माना
Breaking क्रांइम देश राज्यों से

सावधान! दूसरे को वाहन देने से पहले 100 बार सोचें, नहीं तो काटनी पड़ेगी जेल, भरना होगा जुर्माना

अमूमन हम अपना वाहन किसी गैर (दूसरे किसी व्यक्ति) द्वारा मांगे जाने पर तुरंत उसके हवाले कर देते हैं. किसी गैर को अगर आप अपना वाहन देते हैं, तो उसके कानून भी सबसे पहले जान लीजिए. वरना घर बैठे आप उस हद तक की मुसीबत में फंस सकते हैं, जिसमें जुर्माने के साथ-साथ जेल भी काटने की नौबत भी आ सकती है. दरअसल, हम अपना वाहन उसी जरूरतमंद को मांगे जाने पर देते हैं जो हमारा परिचित, दोस्त, रिश्तेदार होता है. यह सोचकर कि चलो उसका काम चल जाएगा. अक्सर जब हमें जरूरत होती है तो हम भी किसी दूसरे का वाहन मांग कर अपना काम निकालने की सोचते हैं. ऐसा करते-धरते हम इस सबके आगे पीछे मौजूद परिवहन कानूनों को जाने-अनजाने नजरअंदाज कर जाते हैं, जो वाहन मांगने वाले और अपना वाहन दूसरे को देने वाले, यानी दोनों के ही लिए घातक साबित हो सकता है. लिहाजा जान लीजिए कि अपना वाहन किसी को देने और किसी का वाहन मांगकर चलाना किस हद तक बवाल-ए-जान बन सकता है. अगर आप अपने नाम पंजीकृत वाहन अपनी ही किसी नाबालिग संतान को चलाने के लिए देते हैं, तो पकड़े जाने पर आपकी जेब पर भारी जुर्माना तो होगा ही. वैसे कानून तो जेल भेजने तक का है. मगर जेल तभी होगी जब आपसे मांगकर वाहन चलाते वक्त आपकी नाबालिग संतान या फिर कोई और किसी गंभीर सड़क हादसे को अंजाम दे डाले. नाबालिग द्वारा वाहन चलाए जाने के वक्त वाहन से दुर्घटना के बाद वाहन चलान वाले को तीन साल की जेल का भी कानून है. साथ ही ऐसे मामलों में वाहन स्वामी के ऊपर अर्थदंड भी डाला जाता है. यह जुर्माना 25 हजार रुपये तक हो सकता है जबकि जेल 3 साल के लिए जाने की नौबत आ सकती है. इतना ही नहीं नाबालिग द्वारा आपका वाहन चलाते हुए उसके पकड़े जाने पर, उसे 25 साल की उम्र तक हिंदुस्तान के किसी भी परिवहन कार्यालय द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस जारी न किए जाने का भी कानून है. साथ ही ऐसे मामलों में संबंधित विभाग द्वारा (परिवहन विभाग या फिर ट्रैफिक पुलिस) भेजे गए चालान की जुर्माना राशि 15 दिन के भीतर जमा कराया जाना भी अनिवार्य है. नियमानुसार निर्धारित समयावधि (15 दिन के भीतर) में अगर कोई दोषी वाहन चालक जुर्माने की राशि जमा नहीं कर सका तो उसे और भी ज्यादा लेने के देने पड़ सकते हैं. तब ऐसे विषम हालातों में यह मामला कोर्ट में चला जाएगा. फिर कोर्ट जैसा कहेगा वैसा लापरवाह वाहन स्वामी को मानना पड़ेगा. कोर्ट इस जुर्माने राशि को कम भी कर सकता है और बढ़ा भी सकता है. नियम तो यह है कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों के हाथों में वाहन की चाबी ही न सौंपें. चाहे वो आपकी संतान ही क्यों न हो क्योंकि कानून संतान और परिचित की नजर से नहीं उम्र के हिसाब से बना हुआ है. हां, यहां यह बताना जरूरी है कि, 16 से 18 साल तक के बच्चे (नाबालिग) बिना गियर वाले वाहन चला सकते हैं. इन तमाम तथ्यों को लेकर टीवी 9 भारतवर्ष ने बात की दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के रिटायर्ड एसीपी ट्रैफिक हनुमान सिंह से. उन्होंने कहा, “देश में ट्रैफिक नियम तो बहुत सख्त हैं. अगर उन पर ईमानदारी से अमल कर लिया जाए तो देश में 27 से 30 फीसदी सड़क हादसों में कमी आ सकती है. हो मगर इसके एकदम विपरीत रहा है. माता-पिता अपनी जवान होती संतान के प्रेमपाश में अंधे होकर, उन्हें जल्दी से जल्दी ड्राइवर बना डालने की हसरत रखते हैं. यही अंधी हसरत मां-बाप और बच्चों के लिए कभी कभी ऐसी मुसीबत बन जाती है. जो तमाम उम्र याद रहती है. सबक तब मिलता है जब गलती हो चुकी होती है. एक लाइन में कहूं तो लोगों को कानून न तो पता है, न ही आज लोग ट्रैफिक कानून जानने के इच्छुक हैं. अधिकांश लोग बस यह करते देखे गए हैं कि उनका बच्चा किसी तरह से वाहन चलाने लगे. तो माता-पिता की जिम्मेदारी कम हो जाएगी. होता मगर अक्सर इसके एकदम उलट है.” दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड सहायक पुलिस आयुक्त हनुमान सिंह आगे बोले, “नियम तो इसके लिए भी सख्त हैं कि किसी के नाम पंजीकृत वाहन अगर किसी गैर-पंजीकृत इंसान के पास से बरामद हो तो, ट्रैफिक पुलिस उस वाहन को सीज कर सकती है. इसके बाद उसका फैसला अदालत में ही होता है. ताकि जिस वाहन स्वामी के नाम पर वाहन पंजीकृत हो, उसे हमेशा हमेशा के लिए सबक मिल सके. हालांकि, अब आजकल भागमभाग वाली जिंदगी में हो सब कुछ उल्टा पुल्टा ही रहा है. कुछ मामलों में मां बाप ही बच्चों को वाहन चलाते देखने की तमन्ना में घर बैठे मुसीबत में फंस जाते हैं. जबकि कई मामलों में जिद्दी बच्चे माता-पिता को कोर्ट कचहरी थाने चौकी के चक्कर में डाल देते हैं. और सडक पर ट्रैफिक रूल तोडऩे के आरोप में पकड़े जाने पर, सब एक दूसरे का मुंह ताकते हैं. अपनी खुद की गलती न मानते हुए सब एक-दूसरे पर जिम्मेदारी का ठीकरा फोड़ते हैं.”

Advertisement

Advertisement