Saturday, December 13

प्राचीन आदिम देवता लिंगो देव के नाम पर सड़क का नामकरण

मर्दापाल से बयानार-भाटपाल सड़क से बड़ी आबादी हो रही लाभान्वित

प्राचीन आदिम देवता लिंगो देव के नाम पर सड़क का नामकरण

संवेदनशील क्षेत्र में शांति के साथ अब हो रहा विकास

♦ मनोज सिंह, सहायक संचालक
रायपुर.

जहां थी कभी नक्सलियों की दहशत, वहां पहुंची शासन की सड़क
छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव ब्लॉक अंतर्गत धुर नक्सली प्रभावित रहे रानापाल ईलाके में कभी नक्सलियों की दहशत रहती थी, ऊंची पहाड़ियों और सघन वनाच्छादित इस क्षेत्र के कई गांव साल के 6 महिने पहुंचविहीन रहा करते थे जिससे यह क्षेत्र विकास की मुख्य धारा से सदैव अछुता रहा। यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, पेय जल, बिजली के लिए तरसा करते थे। उन्हे सड़कों के न होने से समय पर एम्बुलेंस, चिकित्सा सहायता, पुलिस सहायता प्राप्त नहीं हो पाती थी।
 मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर ऐसे क्षेत्रों के विकास और यहां सड़कों के निर्माण के लिए जिला प्रशासन द्वारा इन क्षेत्रों के विकास के लिए सड़क निर्माण की पहल की गयी। जहां पहाड़ी रास्तों, नदी-नालों के कारण सड़क बनाया जाना असंभव लगा करता था, वहां प्रशासन द्वारा दृढ़ निश्चय दिखाते हुए सर्वे करा कर सड़क निर्माण प्रारंभ किया।  मर्दापाल से भाटपाल एवं भाटपाल से खाल्हेमुरवेंड मार्ग का निर्माण प्राचीन आदिम देव लिंगो देव के नाम पर लिंगों देव पथ रखा गया।
        मर्दापाल से बयानार होकर नारायणपुर जिले के भाटपाल तक 40 किलोमीटर लम्बी डामरीकृत सड़क बन अब जाने से इस वनांचल में शांति और अमन-चैन लौट रहा है। इस क्षेत्र के 08 बड़े ग्रामों के करीब 4 हजार आबादी तथा इससे जुड़ने वाले 20 से अधिक ग्रामों के ग्रामीणों को बारहमासी सड़कों के बन जाने से स्वास्थ्य-शिक्षा जैसी आधारभूत सुविधाएं भी मिल रही है। वहीं किसानों एवं ग्रामीणों को अपनी कृषि उत्पाद तथा वनोपज को धान खरीदी केन्द्र एवं हाट-बाजार तक लाकर विक्रय करने में सहूलियत हो रही है।

जहां थी कभी नक्सलियों की दहशत, वहां पहुंची शासन की सड़क
         छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण कोण्डागांव के द्वारा निर्मित मर्दापाल से भाटपाल सड़क जो वर्तमान में कोण्डागांव जिले के चिंगनार, कोनगुड़, धनोरा, होनहेड़ होकर राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में स्थित खालेमुरवेण्ड तक सीधे जुड़ेगी। यह सड़क भविष्य में राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के वैकल्पिक बॉयपास मार्ग के रूप में आवागमन के लिए सुविधाजनक होगी। भविष्य में इस मार्ग को बारसुर-कुधुर के रास्ते मर्दापाल से जोड़ने की योजना बनायी गयी है। ताकि दंतेवाड़ा से केशकाल की दूरी को कम किया जा सके और ग्रामीणों को व्यापार व्यवसाय के नवीन अवसर प्राप्त हो सके।

जहां थी कभी नक्सलियों की दहशत, वहां पहुंची शासन की सड़क
वर्तमान में निर्माणाधीन यह सड़क जिले के अंदरूनी ईलाके और पर्यटन स्थलों को जोड़ने के लिए जीवन रेखा साबित होगी। इस क्षेत्र में कई अनछुए क्षेत्र है जो कि पर्यटन के क्षेत्र में वृहद सामर्थ्य रखते हैं। जिनको खोज कर इस क्षेत्र के लोगों को पर्यटन के क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इसी सड़क के दूसरे सिरे पर भाटपाल से खालेमुरवेंड मार्ग पर सड़क निर्माण के बाद 20 से अधिक जलप्रपातों की खोज की गयी है। जिससे क्षेत्र को नई पहचान मिली है।
 जिले के एक बड़े भू-भाग से होकर गुजरने वाली करीब 150 किलोमीटर लम्बी यह सड़क कई ग्रामों एवं बसाहटों के ग्रामीणों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ रही है। छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण द्वारा उक्त मार्ग में 76.30 किलोमीटर सड़क निर्माण पूर्ण कर लिया गया है, जिसमें मर्दापाल से बयानार-भाटपाल 40 किलामीटर सड़क सम्मिलित है। जिससे मर्दापाल क्षेत्र के बयानार, नवागांव, चेरंग, बड़को, आमगांव, आदनार आदि ग्रामों के लोगों को अब मुख्यालय आने-जाने में सुविधा हो रही हैं। वहीं इस क्षेत्र के ग्रामीणों को नारायणपुर जाने के लिए समय एवं दूरी की बचत हो रही है और मर्दापाल से कोण्डागांव होकर नारायणपुर जाने के लिए लम्बी दूरी तय करने से निजात मिल रही है। सड़कों के बनने के साथ यहां स्वास्थ्य केन्द्रों, स्कूलों, मोबाईल टावर जैसी सुविधाओें का विकास तेजी से हो रहा है। जिससे इस क्षेत्र के लोग भी अब विकास की मुख्यधारा से लगातार जुड़कर कंधे से कंधा मिला कर विकास की यात्रा तय कर रहे हैं।

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