आधुनिक जीवन शैली कहें या फिर पर्यावरण में आ रहे तमाम तरह के बदलाव की वजह से इंसान की जिंदगी दिन ब दिन छोटी होती जा रही है. पर्यावरण प्रदूषण और मिलावटी खाने ने इंसान की आयु छोटी कर दी है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे समुदाय के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसके लोग आज भी 150 साल के आसपास जीते हैं. इस दौर में किसी समुदाय के लोगों का इतने सालों तक जिंदा रहना यकीनन अद्भुत ही माना जाएगा. पाकिस्तान की हुंजा घाटी में आम समस्याओं से काफी दूर रहने वाला समुदाय हुंजा अन्य लोगों की तुलना में लंबे समय तक जिंदा रहता है. पाकिस्तान की हुंजा घाटी में रहने के कारण ही इस समुदाय को हुंजा समुदाय के नाम से जाना जाता है. हुंजा समुदाय के लोग शारीरिक तौर पर काफी मजबूत होते हैं और उन्हें शायद ही कभी अस्पताल जाने की जरूरत होती है. सबसे हैरान करने वाली बात, तो ये है कि यहां के लोगों का औसत जीवनकाल लगभग 120 साल माना जाता है. इस समुदाय के अनोखे तौर-तरीकों पर कई किताबें भी लिखी जा चुकी हैं. नोमैडिक नाम की एक वेबसाइड के मुताबिक, इस समुदाय की महिलाएं 60 से 90 साल की उम्र तक बिना किसी परेशानी के गर्भवती हो सकती हैं और स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है. इतना ही नहीं इस खास समुदाय की महिलाएं दुनिया की सबसे खूबसूरत भी मानी जाती है. हुंजा समुदाय की औरतें 60-70 साल की उम्र में भी 20-25 साल की दिखाई देती हैं. बता दें कि हुंजा समुदाय के लोगों को बुरुशो भी कहते हैं. ये बुरुशास्की भाषा बोलते हैं. ऐसा कहा जाता है कि हुंजा समुदाय के लोग पाकिस्तान के अन्य समुदाय के लोगों से कहीं ज्यादा शिक्षित हैं. हुंजा घाटी में इनकी संख्या 85 हजार से भी ज्यादा हैं. यह समुदाय मुस्लिम धर्म को मानता है और इनके सारे क्रियाकलाप भी मुस्लिमों जैसे ही हैं. हुंजा घाटी पाकिस्तान के मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक है. दुनियाभर से लोग यहां पहाड़ों की खूबसूरती देखने आते हैं. इस समुदाय के ऊपर लिखी गई किताबों में ‘द हेल्दी हुंजाज’ और ‘द लॉस्ट किंगडम ऑफ द हिमालयाज’ जैसी किताबें मुख्य रूप से शामिल हैं. हुंजा समुदाय के लोगों की जीवनशैली ही उनके लंबे जीवन का राज है. ये लोग सुबह पांच बजे उठ जाते हैं. यहां के लोग साइकिल या गाडिय़ों का इस्तेमाल बहुत कम ही करते हैं और पैदल ज्यादा चलते हैं. इस खास समुदाय के लोग आमतौर पर जौ, बाजरा, कुट्टू और गेहूं का आटा खाते हैं, जो इन्हें शारीरिक तौर पर मजबूत बनाने में काफी मदद करता है. इसके अलावा इस समुदाय के लोग मांस का सेवन बहुत कम करते हैं. किसी खास मौके पर ही मांस बनता है.
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