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रंग लाया शिक्षकों का प्रयास

रंग लाया शिक्षकों का प्रयास

छह किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल आती थी ऋतु कोर्राम

84 प्रतिशत अंकों से हुई कक्षा 10वीं उत्तीर्ण

उत्तर बस्तर कांकेर. 

शिक्षक यदि ठान ले तो असंभव को संभव कर सकता है। गुरू-शिष्य के संबंधों का मिसाल पेश करते हुए शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तारांदुल के शिक्षकों ने शाला छोड़ चुके विद्यार्थी को पुनः शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर विद्यार्थी को स्कूल आने के लिए प्रेरित किया और उसे कड़ी मेहनत कर पढ़ाई करने की सीख देकर प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण भी करवाया। इस सफलता से विद्यार्थी भी अचंभित लेकिन प्रफुल्लित हैं।

            भानुप्रतापपुर विकासखण्ड के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तारांदुल में कक्षा 12 वीं में अध्ययनरत छात्र सन्तलाल पिता कमलसिंह पारिवारिक कारणों से स्कूल आना छोड़ दिया था, विद्यालय के शिक्षक कई बार उनके घर जाकर उन्हें पढ़ाई करने के लिए समझाने का प्रयास किया। समझाने के लिए अपने घर आये हुए शिक्षकों को देखकर वह घर से भाग जाता था। शिक्षकों के बार-बार घर आने पर उनसे बचने के लिए वह घर से भागकर भानुप्रतापपुर के होटलों में प्लेट धोने का काम करने लगा। छात्र की प्रतिभा और घर की परिस्थिति को देखकर विद्यालय का हर शिक्षक चाहता था कि यह बालक किसी भी तरह शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ जाये और पढ़ाई कर अच्छे नंबरों से परीक्षा उत्तीर्ण हो। इसी दौरान विद्यालय के एक शिक्षक को इसकी जानकारी प्राप्त हुई कि छात्र संतलाल भानुप्रतापपुर के होटलों में काम कर रहा है, उन्हांने उसे ढूढ़ा और उसे बहुत समझाया एवं आश्वासन दिया कि जितने रूपये तुम इस होटल में काम करके कमाते हो, उतने रूपये मैं तुम्हे दूंगा, दो महीना परीक्षा बाकी है, तुम लगन से पढ़ाई करो और परीक्षा में पास हो जाओ। शिक्षक की बात मानकर छात्र संतलाल  अपने गांव वापस लौट आया और पुनः पढ़ाई शुरू की, लेकिन फिर उसका ध्यान भटक गया और वहां नेटवर्क बिजनेस करने कवर्धा चला गया। परन्तु शिक्षकों ने हार नहीं मानी और उन्हें समझाया कि नेटवर्क बिजनेस से तुम जितने रूपये कमाते हो उतनी राशि हम तुम्हे देंगे, तुम पढ़ाई करो और अच्छे नंबरों से परीक्षा उत्तीर्ण हो। उसके बाद यदि तुम चाहो तो हमारे रूपये हमें वापस कर देना। शिक्षकों की इस शर्त पर संतलाल पुनः स्कूल आया और मन लगाकर पढ़ाई करने लगा। जिला प्रशासन के निर्देशानुसार सभी छात्र-छात्राओं के साथ उसे भी पिछले वर्षों के बोर्ड पेपर, प्री बोर्ड, मासिक परीक्षा इत्यादि के माध्यम से लगातार अभ्यास कराया गया। जिसके परिणाम स्वरूप संतलाल विज्ञान संकाय में कक्षा 12वीं की परीक्षा में 66.02 प्रतिशत से उत्तीर्ण हुआ है। छात्र संतलाल की सफलता विद्यालय के शिक्षकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है, जो छात्र पढ़ाई से अपने को दूर कर चुका था, वह पुनः शिक्षा से जुड़कर प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण हुआ है।

शासकीय उच्च्तर माध्यमिक विद्यालय तरांदुल में अध्ययनरत बालिका कुमारी ऋतु कोर्राम पिता बिरजू राम ने भी उपलब्धि हासिल की है। वह अपने गांव धनेली पटेलपारा से प्रतिदिन 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल आती थी। सरकार द्वारा उन्हें सरस्वती सायकिल योजनांतर्गत निःशुल्क सायकिल प्रदाय किया गया है, लेकिन उसके बिगड़ने के कारण उन्हें पैदल ही स्कूल आना पड़ता था। इस वर्ष उन्होंने कक्षा 10 वीं बोर्ड की परीक्षा 84.06 प्रतिशत अंकों के साथ परीक्षा उत्तीर्ण कर कक्षा में प्रथम स्थान बनाया है। घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब होने बावजूद उन्होंने कड़ी मेहनत, लगन और शिक्षकों के मार्गदर्शन से यह स्थान बनाया है। भानुप्रतापपुर के खण्ड शिक्षा अधिकारी सदेसिंह कोमरे और हायर सेकेण्डरी स्कूल तरांदुल के प्राचार्य चन्द्रकांत साहू ने उनकी सफलता पर अपनी बधाई एवं उज्जवल भविष्य के लिए अपनी शुभकामनाएं दी।

              उल्लेखनीय है कि कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला के निर्देशानुसार जिले में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए ‘हमर लक्ष्य’ अभियान चलाया गया तथा विद्यालय छोड़ चुके छात्र-छात्राओं को स्कूल से जोड़ने के लिए ‘अनुरोध कार्यक्रम’ भी चलाया गया, जिसके परिणाम स्वरूप संतलाल जैसे विद्यार्थी स्कूल से पुनः जुड़कर उपलब्धि हासिल की है।

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