अमलेशवर. छत्तीसगढ़ पर्यावरण मित्र समिति ने लोगों से होलिका दहन के लिए हरे भरे पेड़ पौधे को ना काटने की गुजारिश किए हैं ,क्योंकि हरे भरे पेड़ पौधे काटे जाने से हमारे आसपास की पर्यावरण चक्र असंतुलित होकर प्रदूषित होता है ,अक्सर ग्रामीण व शहरी अंचलो में अभी भी बहुत से हरी भरी पेड पौधे की कटाई होलिका दहन के लिए कर दी जाती हैं,जो स्वच्छ पर्यावरण की दृष्टि से कतई उचित नहीं कहा जा सकता हैं। होलिका दहन के लिए पेड़ पौधे की सुखी लकड़ी एवं गाय के गोबर से बने कंडे का सीमित मात्रा में प्रयोग करना सबसे बेहतर उपाय हैं ,जिसे जलाने के बाद कम्पोष्ट खाद के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता हैं। कहीं-कहीं पर लोग पुराने प्लास्टिक पुराने गाड़ियों के टायरों को भी होलीका दहन में जलाते रहते हैं जोकि स्वच्छ पर्यावरण की दृष्टि से भी ठीक नहीं है क्योंकि इसके जलने से इससे निकलने वाली विषाक्त जहरीली धुये से कार्बन डाइऑक्साइड एवं कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे गैस की मात्रा पर्यावरण में बढ़ जाती है जो कि हम सब समस्त जीव धारियों के लिए स्वास्थ्य गत कारणों से ठीक नहीं है लोग प्रदूषण की चपेट में आकर बीमार हो जाते हैं । छत्तीसगढ़ पर्यावरण मित्र समिति पिछले कई वर्षों से होलिका दहन के पूर्व लोगो को जन जागरण अभियान के तहत पेड़ों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने कहते आ रहे हैं , साथ ही लोगों को अधिक से अधिक मात्रा में पौधारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए नि:शुल्क बादाम की पौधे उपहार स्वरूप भेंट करते आ रहे हैं, साथ ही लोगों से निवेदन किया है कि पानी की बर्बादी को रोकने के लिए भी पानी की जगह प्राकृतिक रंगों से बने रंग गुलाल से सूखी होली खेलने का निवेदन किए । समिति के अध्यक्ष डाँ अश्वनी साहू, वरिष्ठ सलाहकार ललित बिजौरा, गीता लाल, साहू, संजू हिरवानी, प्रभु यादव, कौशल वर्मा, कुलदीप धीवर, चोवा साहू , कमलेश साहू, सोहन साहू, कोमल वर्मा, प्रमोद शर्मा, गोपी साहू, शैलेष साहू , कुणाल साहू सहित सभी सदस्यों ने पर्यावरण की संरक्षण को हम सब की नैतिक जिम्मेदारी बताया हैं।