चन्द्रभूषण वर्मा शुक्रवार 19 मई को आए एक बयान में भारतीय रिजर्व बैंक ने यह साफ कर दिया है कि अब बाजार से 2000 रुपए के नोट की वापसी तय है। इसके लिए रिजर्व बैंक ने गाइडलाइन भी जारी कर दिए हैं। जारी गाइडलाइन के अनुसार, 2000 के नोट बिना किसी फार्म या पहचान पत्र के आसानी से बदले जा सकेंगे। इससे पहले हमें यह जान लें जरूरी है कि ये नोट बंदी जैसा बिल्कुल नहीं है, ये नोटवापसी है। जैसे हम बाजार से बड़े नोट देकर चिल्हर ले लेते हैं, ठीक उसी तरह हम अपने 2000 के नोट बैंकों में जमा कर उसके बाद दूसरे नोट ले सकेंगे। ये बिल्कुल आसान है। नोटबंदी के समय एक साथ 1000, 500 और 100 के नोटों को बंद कर दिया गया था। लेकिन इस बार सिर्फ 2000 के नोट बदली किए जा सकेंगे। और इसके लिए आपके पास पूरे 4 महीने का वक्त है, यानी आप 30 सितंबर तक ये नोट बदल सकते हैं। इसलिए जल्दबाजी बिल्कुल भी ना करें। बड़ी आसानी से आप इन नोटों को बदली कर सकेंगे। एक बात और, 8 नवंबर 2016 को हुए नोटबंदी के जैसा ही इस बार फिर नोटवापसी की चर्चा हो रही है। लोग इसे नोटबंदी की तरह की ले रहे हैं, पर ये नोटबंदी नहीं नोटवापसी है, इसे हमें समझना होगा। इन चर्चाओं या अफवाहों को विराम देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने जो घोषणा की है, वह सामयिक और स्वागतयोग्य है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को स्पष्ट कर दिया कि 2,000 के नोट बदलने के लिए बैंकों में भीड़ लगाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि 30 सितंबर की समय-सीमा अभी चार महीने दूर है और भारतीय रिजर्व बैंक इस प्रक्रिया में आने वाले सभी मुद्दों के प्रति संवेदनशील रहेगा। मतलब, आने वाले समय में अगर नोटों को वापस लेने में कोई परेशानी आती है, तो रिजर्व बैंक तत्काल समाधान के लिए आगे आएगा। यह अच्छा है कि लोगों में फैली चिंता से रिजर्व बैंक पूरी तरह वाकिफ है। गवर्नर ने यह भी कहा है कि जब 2,000 रुपये के नोट चलन में थे, तब भी दुकानदारों में इन नोटों को स्वीकार करने को लेकर अनिच्छा थी। गवर्नर की यह स्वीकारोक्ति खास मायने रखती है। इससे पता चलता है कि 2,000 के नोटों को जिस तरह का समर्थन या विश्वास लोगों के बीच मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। ऐसे में, इन नोटों की वापसी का फैसला भूल सुधार ही नहीं, बल्कि नोटों पर लोगों की विश्वास बहाली की एक कोशिश भी है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि 2,000 के नोट वापस लेने का फैसला सामान्य प्रक्रिया के तहत लिया गया है और स्वच्छ नोट की नीति के अनुरूप यह कदम लोगों को पर्याप्त समय देते हुए उठाया गया है। किसी तरह की जल्दी मचाने की जरूरत नहीं है। यह स्पष्टीकरण जरूरी था, क्योंकि अर्थव्यवस्था में ऐसे कई गलत तत्व हैं, जो ऐसे मौकों का गलत फायदा उठाते हैं। लोगों के भय से कमाई करने की दुष्प्रवृत्ति पिछली बार नोटबंदी के समय भी खूब देखी गई थी। नोट बदलने की प्रक्रिया में दलाली का चलन अनेक स्तरों पर देखा गया था। बैंककर्मी भी शामिल थे और कालाबाजारियों ने भी खूब चांदी काटी थी। इस बार नोट बदलने को लेकर रिजर्व बैंक ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई है और न ही प्रधानमंत्री को घोषणा का अवसर देकर इसे अति-महत्वपूर्ण बनाया गया है। रिजर्व बैंक अपनी पिछली गलतियों से सीखकर आगे बढ़ा है। इस बार नोट वापसी के लिए पर्याप्त समय दिया गया है और इतने समय में आसानी से नोट वापसी संभव हो सकती है। बहरहाल, आज से देश भर में 2,000 के नोटों को बदलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसलिए यदि आपके पास भी 2000 के नोट हैं तो इसे आप आसानी से बैंकों में जमा कर दूसरे नोट प्राप्त कर सकेंगे। इसलिए जल्दबाजी या हड़बड़ी बिल्कुल ना करें।