हरतालिका तीज हर साल भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है और इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के साथ कुंवारी कन्याएं भी अच्छा पति पाने के लिए करती हैं। मान्यता है इस व्रत को करने के बाद ही माता पार्वती को भगवान शिव पति के रूप में मिले थे। इस दिन दिन व्रत करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होकर सुहागिनों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। आइए आपको बताते हैं हरतालिका तीज का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि।
हरतालिका तीज का महत्व – हरतालिका तीज का महत्व बहुत ही खास माना जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे खास और कठिन माना गया है। मान्यता है कि भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को माता पार्वती ने मिट्टी का शिवलिंग बनारक भगवान की पूजा की और कठोर तप किय था। उनकी पूजा प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको अपना जीवनसाथी चुना। तब से इस दिन को सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए हरतालिका तीज के रूप में मनाती हैं और निर्जला व्रत करती हैं।
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त – हरतालिका तीज का आरंभ 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 8 पर होगा और इसका समापन दोपहर में करीब 12 बजकर 39 मिनट पर होगा। उदया तिथि की मान्यता के अनुसार यह व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा। हरतालिका तीज की सुबह की पूजा सुबह 6 बजे से रात को 8 बजकर 24 मिनट पर होगी। उसके बाद शाम को प्रदोष काल में महिलाएं सजधजकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
हरतालिका तीज की पूजाविधि – महिलाएं सुबह संकल्प लेकर हरतालिका तीज का व्रत आरंभ करें। इस दिन महिलाओं को स्नान के बाद नए वस्त्र पहनने चाहिए। उसके बाद महिलाओं को अपने हाथ पर मेंहदी रचानी चाहिए और संपूर्ण श्रृंगार करें। इस व्रत को रखने वाली महिलाएं सौभाग्य को प्राप्त करती हैं और पति की आयु लंबी होती है। इस व्रत को रखने वाली कुछ महिलाएं पति अपनी सास को सुहाग का सामान भी भेंट में देती हैं। इस व्रत को करने से पति की सेहत अच्छी रहने के साथ ही आयु भी लंबी होती है। इस व्रत को करने वाली महिलाओं को रात में सोने की बजाए रात्रि जागरण करनी चाहिए।