पंचांग के अनुसार 15 अक्टूबर से नवरात्रि के पावन पर्व का आरंभ हो चुका और 24 अक्टूबर को जल्दी ही इसका समापन होने वाला है। बता दें कि नवरात्रि के दौरान मां को खुश करना बहुत ही आसान है। इस दौरान मां के भक्त अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन कर के जगत जननी को प्रसन्न करते हैं। अष्टमी और नवमी तिथि के दिन घर में कन्याओं को बुलाकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें खाना खिलाया जाता है। कन्या पूजन के बिना नवरात्रि का व्रत अधूरा माना जाता है और व्रत का संपूर्ण फल नहीं मिलता है। कुछ लोग अष्टमी के दिन और अन्य नवमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं। तो चलिए आपकी कश्मकश को दूर करने के लिए जानते हैं, दोनों दिनों का शुभ मुहूर्त-
अष्टमी पर कन्या पूजा का मुहूर्त – पंचांग के अनुसार 22 अक्टूबर को महा अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगा और शाम 6 बजकर 44 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में 22 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 26 मिनट से कन्या पूजन किया जा सकता है।
महानवमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त – इस साल महानवमी 23 अक्टूबर को है। पंचांग के अनुसार महानवमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है जो सुबह 6 बजकर 27 मिनट से शुरू होगा और शाम 5 बजकर 14 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में 23 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 27 मिनट के बाद से कभी भी कन्या पूजन किया जा सकता है।
कन्या पूजन विधि – सबसे पहले तो दुर्गाष्टमी या महानवमी के किसी भी दिन कन्याओं को अपने घर बुलाएं।
उसके बाद बहुत ही प्रेम पूर्वक तरीके से उनके चरण धोकर, साफ़ जगह पर बिठाएं।
उनकी कलाईयों पर मौली बांधने के बाद तिलक करें।
कन्या पूजन के लिए हलवा, पूड़ी और चने का भोग तैयार करें।
उन्हें खाना खिलाने के बाद अपनी इच्छानुसार गिफ्ट देकर विदा करें।
अंत में उनसे आशीर्वाद लेना न भूलें। इन कन्याओं को माता का स्वरूप माना जाता है, इस वजह से इनका आशीर्वाद लेने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।