Home » आज भी अबूझ पहेली है अबूझमाड़
छत्तीसगढ़

आज भी अबूझ पहेली है अबूझमाड़

रायपुर. छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक इलाका है जिसे आज तक कोई बूझ नहीं पाया है .अबूझमाड़ छत्तीसगढ़ स्थित एक ऐसा इलाका, जिसके बारे में पूरी तरह आज भी कोई नहीं जानता। यहां अब भी कैसे और कितने हैं आदिवासी हैं, किसी को नहीं पता।  यह  ऐसा रहस्यमय इलाका है जिसका आज इस इक्कीसवीं सदी में भी राजस्व सर्वेक्षण नहीं हो पाया है। नारायणपुर जिले से लेकर महाराष्ट्र तक लगभग 4400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला अबूझमाड़ का जंगल आजादी के 70 साल बाद भी दुनिया के लिए अबूझ पहेली है जहाँ  आज भी आदिम संस्कृति फल फूल रही है। अबूझमाड़ में कोई  237 गांव हैं जिनमें माड़िया जनजाति रहती है। माड़िया जनजाति दो उपवर्ग में विभाजित है -अबूझ माड़िया और बाइसन हार्न माड़िया। अबूझ माड़िया पहाड़ों पर रहते हैं जबकि बाइसन हार्न माड़िया इंद्रावती नदी के मैदानी जंगलों में। बाइसन हार्न माड़िया नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि ये   खास मौकों पर समूह नृत्य के दौरान बाइसन यानी गौर के सींग का मुकुट पहनते हैं।

आजादी के पहले और बाद में देश के तमाम राज्यों की सरहद खींची गई. इन राज्यों के संभागो , जिलों , ब्लॉक , गांव और कस्बो का नक्शा बना लेकिन छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ का सरकार के पास न तो कोई नापजोक है और ना ही कोई नक्शा. अब पहली बार अबूझमाड़ का सर्वे हो रहा है ताकि उसका नक्शा बन सके.ड्रोन के जरिए इस इलाके के खाका खींचा जा रहा है. आजादी के बाद से इस इलाके में ना तो कभी जनसंख्या दर्ज की गई है और ना ही सरकारी योजनाओ का नामोनिशान है. अबूझमाड़ में निवासरत जनजाति मौजूदा आधुनिकीकरण , विकास और पाश्चातय संस्कृति से कोशों दूर है जहाँ  आदिम युग का एहसास होता है.

 

 

 

 

 

 

Advertisement

Advertisement