कोष लेखा एवं पेंशन संचालक महादेव कावरे ने राज्य के सवा लाख पेंशनर और परिवार पेंशनरों के इलाज और मुफ्त दवाई देने के लिए 6 लाख 80 हजार 496 रुपए की बजट स्वीकृत किए जाने की जानकारी प्रस्तुत किया है। इसे भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने इसे ऊट के मुंह में जीरा करार दिया है और इसे राज्य के पेंशनरों और परिवार पेंशनरों के साथ घोर अन्याय निरूपित किया है।मध्यप्रदेश पेंशनर कल्याण निधि नियम 1997 को निरस्त कर छत्तीसगढ़ प्रदेश में नए नियम प्रतिस्थापित करने की मांग की है।
जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि राज्य के भीतर सरकारी अस्पताल में इलाज कराने पर प्रत्येक पेंशनर को साल भर में 10 हजार रुपए की दवाई मुफ्त में उपलब्ध कराने और राज्य के बाहर उपचार कराने पर प्रत्येक पेंशनर पर 30 हजार रुपए तक व्यय का प्रावधान है। स्वीकृत बजट 6.80 लाख रुपए सवा लाख पेंशनरों के हिसाब से प्रत्येक पेंशनर को केवल 5 रुपए से भी कम की दवा हिस्से में आती है छत्तीसगढ़ राज्य बने 23 साल हो गए परंतु सरकार के अधिकारी अभी भी मध्यप्रदेश के नियमों के तहत काम कर रहे है नए नियम बनाने और उसे लागू करने के लिए समय नहीं है।पेंशनर कल्याण निधि नियम 1997 का हवाला देकर रकम स्वीकृत कर रहे हैं जो अधिकारियों के लालफीताशाही और नकारापन का द्योतक हैं।
जारी विज्ञप्ति में संचालक कोष लेखा एवं पेंशन के अनुसार पेंशनर कल्याण निधि नियम 1997 के तहत प्रदेश में वर्ष 2022- 23 में केवल 49 पेंशनर को कुल 4 लाख 62 हजार रुपए और वर्ष 2023-24 में अब तक केवल 25 पेंशनर को 2 लाख 18 हजार रुपए की सहायता स्वीकृत की गई जो अत्यंत हास्यापद और चिन्ता का विषय है। व्यय की सीमा को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है प्रतिवर्ष लाखों रुपए का बजट लेप्स जरूर होता है। यह भी निश्चित है कि लाभ उठाने वाले अधिकतर पेंशनर रायपुर के ऐसे लोग है जिन्हे सहायता की जरूरत नहीं है लेकिन वे अपनी पहुंच के दम पर लाभ उठा रहे हैं।लाखों पेंशनर्स में केवल कुछ गिनती के पेंशनर ही इसका लाभ उठा रहे हैं जबकि राज्य में 90 प्रतिशत से अधिक पेंशनर उम्रदराज बीमारी ग्रस्त अस्पताल में इलाज करा रहे है।उन्हे जानकारी के अभाव में इस नियम का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इसका लाभ केवल वही लोग उठा रहे हैं जो अस्पताल सेवा से रिटायर हुए है इसमें सर्वाधिक संख्या चिकित्सकों की है।
जारी विज्ञप्ति में उन्होंने आगे बताया है इस महत्वपूर्ण जन हितैषी योजना का सही प्रचार – प्रसार नही होने से पेंशनर्स को इसकी सत्यता की जानकारी नहीं है इसी कारण इसका लाभ नहीं ले रहे है यह लाभ लेनेवालों की विभाग द्वारा आंकड़ों की जारी संख्या से सिद्ध होता है।
राज्य में पेंशनरों के इलाज के लिए 6.80 लाख की मंजूरी, “ऊट के मुंह में जीरा” कहावत चरितार्थ-भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ
