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नहीं रहे सुशील मोदी, काजल की कोठरी से बेदाग निकले, अपने दम पर गिरा दी थी सरकार

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बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का सोमवार की रात एम्स दिल्ली में निधन हो गया. वह यूरिनरी ब्लैडर के कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे. सुशील मोदी छात्र जीवन से ही सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों को लेकर जुझारू रहे. वे पांच दशक तक बिहार के राजनीतिक पटल पर छाये रहे और राजनीति की काजल की कोठरी से बेदाग निकले. सुशील मोदी देश के ऐसे कद्दावर नेताओं में से हैं जिन्होंने अपने दम पर विपक्ष सरकार को गिरा दिया था. इतने लंबे समय तक कई महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बाद भी सुशील कुमार मोदी पर भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं लगे. यही उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक पूंजी रही.दस्तावेज के साथ लगाते थे आरोपसुशील कुमार मोदी बिना स्रोत के कोई आरोप किसी पर नहीं लगाते थे. अपने बयान को प्रमाणित करने के लिए सुशील मोदी आवश्यक दस्तावेजों को सदैव मीडिया के सामने प्रस्तुत करते थे. सुशील मोदी को बहुचर्चित चारा घोटाले का खोजकर्ता माना जाता है. बिहार में भाजपा को पहचान दिलाने के साथ ही सुशील मोदी विरोधियों पर लगातार हमलावर रहते थे. चर्चित चारा घोटाला को उजागर करने और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को जेल भिजवाने में सुशील मोदी की अहम भूमिका रही. सुशील कुमार मोदी वर्ष 1996 में चारा घोटाले में पटना हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका दायर करनेवालों में से एक थे. इस याचिका के दम पर चारा घोटाला सब के सामने उजागर हुआ था. लालू प्रसाद जेल गए थे.करते थे व्यावहारिक राजनीति

सुशील कुमार मोदी हमेशा व्यावहारिक राजनीति की. उन्होंने कभी खुद का कॅरियर नहीं देखा, पार्टी और बिहार के हित में उन्हें जो सही लगा उन्होंने उसका समर्थन किया. जंगलराज हटाने की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को नीतीश कुमार के लिए कुर्बान कर दिया था. उनकी इस रणनीति के कारण ही भाजपा बिहार में सत्ता में आयी. सुशील मोदी तो कई बार पार्टी नेताओं की ओर से भी इस बात के लिए निशाने पर आ चुके थे कि वह पार्टी में रहकर भी नीतीश कुमार के आदमी की तरह काम करते हैं.