रायपुर। प्रदेश के 8 हजार प्रायवेट स्कूलों के द्वारा मनमाने ढंग से ट्यूशन फीस को पारिभाषित किया जा रहा है, जिसको लेकर पालकों में भ्रम की स्थिति निर्मित हो गया है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के द्वारा प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा और संचालक को ट्यूशन को परिभाषित करने का अनेकों बार आग्रह किया गया, लेकिन इन जिम्मेदार अधिकारियों ने ट्यूशन फीस को परिभाषित करने में कोई सूची नहीं दिखाया जो अब छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने मा. उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर किया है कि ट्यूशन फीस को परिभाषित कराया जावे और जब तक ट्युशन फीस को परिभाषित नहीं किया जाता तब तक ट्युशन फीस लेने से स्टे लगाया जाए।
प्रदेश के 8 हजार प्राईवेट स्कूलों में भिन्न-भिन्न मदों में फीस लिया जा रहा है जो निम्नलिखित है-:


- शिक्षण शुल्क
- डेवलपमेंट फीस
- मेडिकल शुल्क
- बिल्डिंग शुल्क
- मेंनटेंनेंश शुल्क
- टर्म फीस
- बागवानी शुल्क
- योगा शुल्क
- अमलगमेटेड फंड
- निर्धन छात्र शुल्क
- स्मार्ट क्लास
- परिवहन शुल्क
- वार्षिक शुल्क
- एडमिशन शुल्क
- डायरी शुल्क
- आईडी कार्ड शुल्क
- टाई-बेल्ट शुल्क
- रेडक्रास शुल्क
- परीक्षा शुल्क
- क्री?ा शुल्क
- विज्ञान शुल्क
- स्काउड/गाईड शुल्क
- पत्रिका शुल्क
- छात्र समूह बीमा योजना शुल्क
- क्रियाकलाप/एक्टिविटी शुल्क
- लेट फीस
- बोर्ड एफिलियेशन फीस
- कम्प्युटर फीस
- लैब फीस
- कॉसन मनी