छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने घूसखोरी के आरोप में दो सरकारी कर्मचारियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। दोनों कर्मचारी अपने-अपने विभाग में काम करवाने के बदले रिश्वत की मांग कर रहे थे। पहला मामला मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत से है, जहां लेखापाल सत्येंद्र सिन्हा को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। दूसरा मामला अंबिकापुर का है, जहां ग्राम भिट्टीकला के पटवारी वीरेंद्र पांडेय को एसीबी ने रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है।
लेखापाल सत्येंद्र सिन्हा की गिरफ्तारी
पहले मामले में प्रार्थी महेंद्र सिंह, जो ग्राम पंचायत लालपुर के सरपंच हैं, ने एसीबी अंबिकापुर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत में डीएमएफ फंड से एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने का काम हुआ था, जिसकी अंतिम किश्त के रूप में 2,88,460 रुपये का भुगतान बकाया था। जब सरपंच ने इस राशि के भुगतान के लिए लेखापाल सत्येंद्र सिन्हा से संपर्क किया, तो उसने 19,000 रुपये की रिश्वत मांगी। महेंद्र सिंह रिश्वत देने के बजाय आरोपी को पकड़वाना चाहते थे, जिसके बाद एसीबी ने योजना बनाकर सत्येंद्र सिन्हा को 19,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
पटवारी वीरेंद्र पांडेय की गिरफ्तारी
दूसरी घटना अंबिकापुर के ग्राम भिट्टीकला में हुई, जहां प्रार्थी डोमन राम राजवाड़े ने एसीबी से शिकायत की थी। उनके अनुसार, उनके पिता के निधन के बाद पैतृक भूमि का नामांतरण उनकी माता और चार भाइयों के नाम पर किया जाना था। जब डोमन राम ने पटवारी वीरेंद्र पांडेय से इस प्रक्रिया के लिए संपर्क किया, तो पटवारी ने 5,000 रुपये की रिश्वत मांगी। डोमन राम ने भी एसीबी को सूचित किया और जाल बिछाकर वीरेंद्र पांडेय को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया गया।
एसीबी की सख्त कार्रवाई
दोनों मामलों में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि वे लंबे समय से पटवारी वीरेंद्र पांडेय की भ्रष्ट गतिविधियों से परेशान थे और सामूहिक रूप से शिकायत दर्ज कराई थी।
एसीबी की इस कार्रवाई से क्षेत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश गया है।