राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत वनमंत्री केदार कश्यप के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) सुनील तिवारी को उनके पद से हटा दिया है। सुनील तिवारी को हटाकर उनके मूल विभाग, राज्य सहकारी अभिकरण बिलासपुर में रजिस्ट्रार के पद पर भेज दिया गया है। ओएसडी को अचानक हटाने की वजह स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन यह फैसला राज्य में पिछले चार महीनों में चार अन्य मंत्रियों के ओएसडी को हटाए जाने के बाद लिया गया है।
सरकार के सख्त कदम
हाल के महीनों में, डिप्टी सीएम अरुण साव के ओएसडी गोपाल पटवा, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े के ओएसडी ओमप्रकाश देवांगन, और खाद्यमंत्री दयालदास बघेल के ओएसडी अजय यादव को भी उनके पदों से हटाया जा चुका है। अब वनमंत्री के ओएसडी सुनील तिवारी को हटाए जाने के बाद सरकारी गलियारों में यह चर्चा हो रही है कि आने वाले दिनों में एक या दो और मंत्रियों के ओएसडी को हटाया जा सकता है।
ओएसडी की भूमिका और विवाद
मंत्रालय और सरकारी विभागों के बीच समन्वय बनाए रखने में ओएसडी की भूमिका अहम मानी जाती है। हालांकि, अक्सर ओएसडी कार्यालय के कामकाज को लेकर विवादों में घिर जाते हैं। आमतौर पर, ओएसडी को हटाने से पहले मंत्री की सहमति ली जाती है, लेकिन हाल के इन मामलों में यह स्पष्ट नहीं है कि ये हटाने की कार्रवाइयां मंत्री की सहमति से हुई हैं या उच्च स्तर पर समन्वय में खटास के कारण सीधे कार्रवाई की गई है।
सीएम हाउस की सख्ती
इन घटनाओं को राज्य में सुशासन पर जोर देने से भी जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सख्त रुख के चलते प्रशासन में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि हालिया कार्रवाइयों को सीएम हाउस की इसी नीति के तहत देखा जा रहा है, जहां सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जा रही है।
सरकार के इस कदम ने एक बार फिर से सरकारी गलियारों में हलचल मचा दी है, और सभी की निगाहें अब आगे होने वाले प्रशासनिक फेरबदल पर टिकी हैं।