Monday, December 8

ठंड के मौसम आते ही दिल्ली समेत कई हिस्सों में प्रदूषण का लेवल लगातर बढ़ता रहता है। इन दिनों दिल्ली में प्रदूषण के चलते एक्यूआई 1000 बताया गया है। बढ़ते हुए प्रदूषण में सांस लेने का मतलब सिगरेट पीने जैसा है। ऐसे में अस्थमा के पेशेंट को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषण में मौजूद एलर्जन अस्थमा के मरीजों की एलर्जी को बढ़ा देते हैं। प्रदूषण के छोटे कण सांस नली में रहते हैं तो इससे सांस लेने में परेशानी होती है। पॉल्यूशन के बड़े कण फेफड़ो के वायुमार्ग में जमा हो जाते हैं। आइए जानते हैं अस्थमा के मरीजों को कैसे अपना ध्यान रखना चाहिए।
स्मोकिंग वाली जगहों से दूर रहे
अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो स्मोकिंग के धुएं से सतर्क रहना जरुरी है। क्योंकि, यह आपके फेफड़ों को गंभीर रुप से नुकसान पहुंचा जा सकता है। जो लोग अस्थमा के पेशेंट होने के बाद भी स्मोकिंग करते हैं, तो यह गलत है। इससे आपकी परेशानी बढ़ जाएगी। स्मोकिंग की जाने वाली जगहों पर न खड़े रहे, वरना सांस की तकलीफ से बचा सकती है।
प्रदूषण वाली जगहों पर न जाएं
ठंड के मौसम में प्रदूषण का लेवल बढ़ता है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। आप भीड़भाड़ और अधिक पॉल्यूशन वाले इलाकों में जाने से बचें, जिससे आप सांस की परेशानियों से बच सके।
मास्क लगाएं
प्रदूषण से बचने के लिए आप मास्क जरुर लगाएं। अगर आप घर से बाहर निकालते हैं तो मास्क जरुर पहनकर जाएं। डस्ट और अन्य हानिकारक कण आपके फेफड़ों तक न पहुंचें।

घर में रहते हुए इस बात का रखें ध्यान
पॉल्यूशन से बचने के लिए कुछ चीजों को नजरअंदाज करना चाहिए। अगर आप घर के अंदर प्रदूषण पर नजर रखना भी जरुरी है। आस-पास मच्छर कॉइल, अगरबत्ती, धूप या कभी-कभी कीटनाश्क स्प्रे या मच्छर स्प्रे घर के अंदर प्रदूषण में योगदान कर सकते हैं। इसलिए इससे बचें।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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