भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल आज दोपहर विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह से उनके निवास में प्रत्यक्ष भेंट कर मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 को विलोपित करने हेतु विधानसभा में शासकीय संकल्प पारित करने ज्ञापन सौंपा। विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने मुख्य सचिव अभिताभ जैन को प्रेषित कर शासकीय संकल्प पारित करने जरूरी कार्यवाही करने का भरोसा दिया।प्रतिनिधि मंडल में महासंघ के प्रांतीय महामंत्री अनिल गोलहनी, कोषाध्यक्ष बी एस दसमेर,जिला रायपुर के अध्यक्ष आर जी बोहरे तथा पी आर काटोलकर शामिल थे।
भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने जारी विज्ञप्ति में आगे बताया है कि मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की छटवीं अनुसूची की धारा 49 में कही पर भी राज्य के पेंशनरों को महंगाई राहत या अन्य आर्थिक भुगतानों में दोनों राज्यो में आपसी सहमति होने पर ही भुगतान करने का कहीं कोई उल्लेख नहीँ हैं,पता नहीं किसके दिमाग की उपज है,जो राज्य विभाजन के बाद से दोनों राज्यो के बीच सहमति की अनिवार्यता सम्बन्धी झूठ का हल्ला मचाकर धारा 49 को पेंशनरों के महँगाई राहत तथा अन्य सभी प्रकार आर्थिक भुगतानों में रोड़ा बनाकर रखे हुए हैं। जबकि छत्तीसगढ़ राज्य के साथ ही बने अन्य दो राज्यों क्रमशः उत्तराखंड और झारखंड में इसप्रकार की कोई समस्या नहीं है।यह समस्या उन राज्यों में क्यों नही है?इसपर सरकार के पास कोई जवाब भी नहीं है, और वे यह कहते नही थकते हैं कि वहाँ के राज्य सरकार से बात करके पता किया जायेगा तथा तदनुसार यहाँ भी कार्यवाही करेंगे।विगत 24 वर्षों से यही बात कही जा रही है, मगर सरकार के जिम्मेदार लोग उन राज्यों से पता कर आज तक यह बात बताने में असमर्थ रहे हैं कि यह समस्या उन राज्यों में क्यों नहीं है।
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश शासन की उपेक्षा से दोनों राज्य के पेंशनर एक समान पीड़ित हैं। दोनों ही सरकारों को पेंशनरों की समस्याओं को दूर करने में कोई रुचि नहीं है और आपसी मिलीभगत कर पेंशनरों के महंगाई राहत सहित सभी जायज आर्थिक मामलों को मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 में उल्लेख छटवीं अनुसूची के प्रावधान की आड़ में आपसी सहमति-असहमति के बहाने जानबूझकर लटकाए हुए हैं। जबकि धारा 49 में महंगाई राहत को लेकर सहमति लेने-देने का कोई उल्लेख ही नहीं है,फिर भी सहमति-असहमति को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा घोषित 53% प्रतिशत महंगाई राहत के स्थान पर पेंशनरों को दोनों ही राज्यों में केवल 50℅ महंगाई राहत दिया जा रहा है, पेंशनरों की उपेक्षा का आलम यह है कि छत्तीसगढ़ राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों आईएएस अधिकारियों को सेवारत कर्मचारियों व पेंशनरों से अधिक महंगाई भत्ता दिया जा रहा है यह कर्मचारियों व पेंशनरों का घोर उपेक्षा अपमान है ।