रायपुर। राजधानी रायपुर के मोवा ओवरब्रिज में घटिया डामरीकरण के मामले में लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) ने जिम्मेदार इंजीनियरों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है। पीडब्लूडी मंत्री अरुण साव के निर्देश पर पीडब्लूडी सचिव आईएएस डा. कमलप्रीत सिंह ने ओवरब्रिज के डामरीकरण की जांच करवा दी थी। जांच रिपोर्ट में पूरे काम की क्वालिटी घटिया पाई गई है। इस आधार पर पीडब्लूडी विभाग ने कार्यपालन यंत्री विवेक शुक्ला, अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) रोशन कुमार साहू तथा तीन उप अभियंता राजीव मिश्रा, देवव्रत यमराज और तन्मय गुप्ता को सस्पेंड कर दिया है। सभी इंजीनियरों को नवा रायपुर के पीडब्लूडी मुख्यालय निर्माण भवन में अटैच किया गया है।
पीडब्लूडी के इन इंजीनियरों के निलंबन का आदेश में कहा या है कि मोवा ओवरब्रिज के डामरीकरण का पीडब्लूडी मंत्री अरुण साव ने 10 जनवरी को शिकायतों के बाद निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने निर्माण की क्वालिटी खराब पाई थी और मौके पर ही अपने गुस्से का इजहार कर दिया था। उन्होंने जांच और दोषियों पर कार्रवाई के आदेश दिए थे। इस आधार पर रायपुर ब्रिज डिवीजन के चीफ इंजीनियर की ओर से केंद्रीय गुणवत्ता अनुसंधान प्रयोगशाला से जांच करवाई गई। जांच रिपोर्ट दो दिन पहले मिली, जिसमें क्वालिटी को लेकर गंभीर टिप्पणियां की गई हैं। औसत बिटुमिन कंटेंट, कंबाइंड डेन्सिटी और मटेरियल का ग्रेडेशन मानक स्तर से कम पाया गया। इस तरह, जिम्मेदार ईई, एसडीओ और सब इंजीनियरों ने निगरानी में लापरवाही की, जो गंभीर मामला है। इसी आधार पर सभी इंजीनियरों को सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
ठेकेदार को नोटिस

बताया जाता है कि पूरे मामले में सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार को केवल कारण बताओ नोटिस जारी किया गया र्है। सूत्र बताते है कि ठेकेदार को अधिकारियों का शह होने के कारण उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पूरे मामले में बिटुमिन और मटेरियल को लेकर सीधे तौर अफसरो को ही दोषी माना गया है। मामले में ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठने लगी है।
डामरीकरण घोटाला सरकार मुंह में कालिख
इधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस के लिये नहीं भ्रष्टाचार करने की नीति पर काम कर रही है। राजधानी की मोवा ओवरब्रिज और बीजापुर में घटिया सड़क निर्माण मामले में कुछ अधिकारियों पर कार्यवाही लीपापोती के लिये तथा बड़ी मछलियों पर से ध्यान हटाने के लिये की गयी कार्यवाही है। ठेकेदार पर कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं की गई है। मोवा ओवर ब्रिज का डामरीकरण घोटाला तो साय सरकार के मुंह पर कालिख है।