भारतीय ओपनर प्रतिका रावल को देर से अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है, लेकिन इस युवा बल्लेबाज ने देर बाए दुरूस्त आए की कहावत चरितार्थ कर दिखाई है। प्रतिका उन होनहार बच्चों में से है, जिन्होनें 10वीें व 12वीं की परीक्षाओं में 92 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल किए और जब वो क्रिकेट के मैदान पर उतरीं तो वहा भी अपनी धाक जमाई। दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में ग्रेजुएट प्रतिका स्कूल में बास्केटबॉल खिलाड़ी भी रही है, लेकिन पिता के सपने को पूरा करने के लिए उन्होनें क्रिकेट को चुना और नाम कमाया।

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