देश का सबसे बड़ा संवैधानिक पद संभालने के बाद पहली बार ओडिशा विधानसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए यह पुरानी यादों और इतिहास से भरी घर वापसी थी.
इस पल को बहुत निजी बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सार्वजनिक जिंदगी इसी सदन की दीवारों के अंदर शुरू हुई थी, जिसका श्रेय वे अपनी राष्ट्रीय राजनीति में बढ़त को भी देती हैं.
दिल से दिए गए अपने भाषण में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि विधानसभा ने उनके पूरे सफर में अहम भूमिका निभाई है. “आज मैं जो कुछ भी हूँ, उसका श्रेय इस सदन को जाता है. मैंने पहले भी कई राज्य विधानसभाओं को संबोधित किया है, लेकिन ओडिशा विधानसभा में बोलना अनोखा है.” उन्होंने कहा कि महाप्रभु जगन्नाथ के आशीर्वाद ने हमेशा उन्हें रास्ता दिखाया है.
MLA और फिर मंत्री के तौर पर अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह वे सवाल उठाती थीं और ट्रेजरी बेंच से जवाब मिलते थे. गैलरी में कई पुराने साथियों को देखकर उन्होंने कहा कि उनकी मौजूदगी ने इस मौके को और खास बना दिया. राष्ट्रपति ने ओडिशा की समृद्ध विरासत पर भी जोर दिया इसके समुद्री इतिहास, उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष और मधुसूदन दास, हरेकृष्ण महताब और बीजू पटनायक जैसे नेताओं के योगदान को याद किया. उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि कानून बनाने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है और अब विधानसभा का नेतृत्व एक महिला स्पीकर कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि ओडिशा प्राकृतिक संपदा और अपार संभावनाओं से भरा है. इसलिए उन्होंने सभी सदस्यों से अपील की कि 2036 तक राज्य को एक अग्रणी क्षेत्र में बदलने के लिए समर्पित होकर काम करें. उन्होंने कहा, “लोगों ने आपको कई सपनों के साथ यहां भेजा है. उनके चेहरों पर मुस्कान लाना आपका फर्ज है.”
राष्ट्रपति मुर्मू ने पार्लियामेंट्री गरिमा बनाए रखने की सलाह देते हुए अपना भाषण खत्म किया और कहा कि तुरंत डिजिटल एक्सेस के इस दौर में सदन की कार्यवाही दुनिया भर के नागरिकों तक पहुंचती है.













