भरतपुर. एक पिता की बेबसी, सिस्टम की लापरवाही और जिम्मेदारियों से बचता तंत्र. भरतपुर से जयपुर तक फैली यह कहानी सिर्फ एक नवजात की मौत की नहीं, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठते गंभीर सवालों की भी है. भरतपुर के जनाना अस्पताल से जयपुर के जेके लोन अस्पताल रेफर किए गए एक नवजात की रास्ते में मौत हो गई. पिता का आरोप है कि एंबुलेंस में लगा ऑक्सीजन सिलेंडर रास्ते में खत्म हो गया, समय पर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई और ऑक्सीजन के अभाव में बच्चे ने दम तोड़ दिया. इस दर्दनाक घटना के बाद पिता बच्चे के शव को लेकर अस्पतालों और थानों के चक्कर काटता रहा, लेकिन कहीं से भी उसे तत्काल सुनवाई नहीं मिली.
मृतक नवजात के पिता मुकेश कुमार निवासी सिकंदरा थाना बयाना ने बताया कि उनके बेटे का जन्म एक दिन पहले ही भरतपुर के जनाना अस्पताल में हुआ था. जन्म के बाद बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. डॉक्टरों की निगरानी में बच्चे को ऑक्सीजन पर रखा गया था. शनिवार शाम करीब 6 बजे डॉक्टरों ने बच्चे की हालत को गंभीर बताते हुए उसे जयपुर के जेके लोन अस्पताल रेफर कर दिया. इसके बाद सरकारी एंबुलेंस के जरिए नवजात को जयपुर ले जाया जा रहा था.
रास्ते में खत्म हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर
पिता का कहना है कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर तो लगाया गया था, लेकिन बच्चे को कोई ड्रिप नहीं दी गई थी. रास्ते में बस्सी के पास अचानक ऑक्सीजन सिलेंडर की गैस खत्म हो गई. इसके बाद बच्चे की हालत तेजी से बिगड़ती चली गई और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई. मुकेश कुमार का आरोप है कि जैसे ही एंबुलेंस ड्राइवर को बच्चे की मौत की जानकारी हुई, वह एंबुलेंस को मौके पर छोड़कर फरार हो गया.













