मुंबई। महानगर की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने पांच साल की लड़की से छेड़छाड़ के एक आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि पीडि़ता बच्ची है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि वह अच्छे या बुरे स्पर्श के बीच अंतर को नहीं जानती है. अदालत ने छह फरवरी को यह आदेश जारी किया और इसकी (आदेश की) प्रति मंगलवार को उपलब्ध कराई गई. विशेष न्यायाधीश भारती काले ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि पीडि़ता ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि याचिकाकर्ता ने उसे छुआ था और उसे महसूस हुआ कि यह बुरा स्पर्श था. अदालत ने कहा, पीडि़ता के बच्ची रहने को लेकर यह नहीं कहा जा सकता कि वह अच्छे या बुरे स्पर्श के बीच अंतर को नहीं समझती है.
ये था मामला
आरोपी शख्स, पीडि़ता का पड़ोसी है. यह घटना उस वक्त हुई थी, जब वह पड़ोसी के घर में खेलने गई थी और आरोपी ने उसे गलत तरीके से स्पर्श किया. आरोपी के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के संबंधित प्रावधानों और भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (छेड़छाड़) के तहत एक मामला दर्ज किया गया था.
अभियोजन ने दलील दी कि पीडि़ता अच्छे-बुरे स्पर्श को समझती है और उसने बयान में इस बारे में कहा भी है. अभियोजन की दलील स्वीकार करते हुए अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी. न्यायाधीश ने कहा, आरोप गंभीर श्रेणी के हैं और याचिकाकर्ता पर यौन उत्पीडऩ का आरोप है. ऐसी परिस्थिति में याचिकाकर्ता जमानत पाने का हकदार नहीं है.
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बच्ची ‘अच्छे या बुरे स्पर्श’ में फर्क जानती है, छेड़छाड़ के मामले में कोर्ट का अहम फैसला
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