सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाकर उनका भविष्य बनाने वाले शिक्षकों को कभी मिड-डे-मील प्रिपेयर करने, कभी जनगणना करने, चुनाव में ड्यूटी कभी कोरोना में घर-घर सर्वे करने से लेकर आए दिन अलग-अलग काम दिए जाते हैं। इस बार सूरत में निगम का ऐसा फरमाना आया है जो चौंकाने वाला है। कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों के बंद होने के बाद शिक्षकों की ड्यूटी अब श्मशान घाट में लगाई जा रही है। अब सोचने वाली बात ये है कि यहां इन शिक्षकों का क्या काम? वहीं निगम ने इन शिक्षकों को जनगणना नहीं बल्कि इस बार शवगणना की जिम्मेदारी दी है। यहां शिक्षकों से शवों का हिसाब-किताब रखवाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यहां श्मशान घाट में शवों की संख्या इतनी बढ़ गई है लाइन लगाकर शवों का अंतिम संस्कार कराया जा रहा है। मृतकों के परिजनों को बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। निगम का आदेश है कि शिक्षक श्मशान घाट में रहकर शिफ्ट में 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहेंगे। वे शवों की जानकारी रजिस्टर में दर्ज करेंगे। कोरोना से मरने वालों का शव परिजनों को न देकर सीधे श्मशान घाट भेजा रहा रहा है। श्मशान घाटों में शवों की संख्या इतनी ज्यादा है कि शवों की अदला-बदली होने की पूरी संभावना है। इसी से बचने के लिए शिक्षकों की ड्यृटी लगाई गई है। शिक्षक एंबुलेंस से आ रहे शवों की डिटेल नोटकर उनके परिजनों से कॉर्डिनेट करेंगे। देखा जाय तो सूरत में कोरोना से हर रोज 6-7 लोगों की मौत हो रही है। अश्विनी कुमार श्मशान भूमि में रोज 80 शव आ रहे हैं। इसी तरह जहांगीरपुरा स्थित कुरुक्षेत्र श्मशान भूमि में 40 से ज्यादा शव आ रहे हैं। हालांकि इनमें सभी शव कोरोना मरीजों के नहीं हैं। अश्विनी कुमार श्मशान भूमि में पहले रोज 30-35 शव आते थे। इसी तरह कुरुक्षेत्र श्मशान भूमि में पहले रोज 10-15 शव आते थे। श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार के लिए मृतकों के परिजनों को परेशान होना पड़ रहा है।
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