Wednesday, December 10

दुर्ग। दुर्ग जिले में कोरोना की भयावह स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीम को दुर्ग जिले में कोरोना की स्थिति का निरीक्षण करने के लिए भेजा है। केंद्रीय टीम में शामिल भारत सरकार के ज्वाइंट सेक्रेटरी जिगमत तकपा, रीजनल डायरेक्टर एमओएचएफडब्ल्यू (रायपुर) के एम काम्बले, पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट (कोलकाता) डॉ. लीना बंधोपाध्याय, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज दिल्ली के प्रोफेसर (मेडिसिन) डॉ. अनिल कुमार, एनएचएम के स्टेज प्रोग्राम मैनेजर जावेद कुरैशी के साथ दुर्ग सर्किट हाउस में सांसद विजय बघेल ने विस्तार से चर्चा की और कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के बारे में पूछा जिस पर केंद्रीय टीम ने सांसद विजय बघेल को बताया कि दुर्ग जिले में आरटीपीसीआर टेस्टिंग केवल 10 प्रतिशत ही हो रही है और रैपिड टेस्टिंग ज्यादा हो रही है जबकि कोरोना की सही पुष्टि आरटीपीसीआर टेस्ट से ही होती है, दुर्ग में आरटीपीसीआर वाली टेस्टिंग बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। केंद्रीय टीम ने सांसद विजय बघेल को बताया कि दुर्ग जिले में कंट्रोल पैनल का अभाव है। कंट्रोल पैनल द्वारा प्रत्येक पॉजिटिव मरीज की स्थिति को आंकलित करना चाहिए और उसकी बीमारी का स्टेज देखकर उसे होम क्वॉरेंटाइन या हॉस्पिटलाइज्ड कराने की सलाह देनी चाहिए। होम क्वॉरेंटाइन वाले मरीजों को ऑक्सीमीटर देना चाहिए या उन्हें ऑक्सीमीटर खरीदने की सलाह देनी चाहिए ताकि वे समय समय पर अपना अक्सीजन लेवल चेक करते रहें साथ ही स्वास्थ्य विभाग के कंट्रोल रूम से प्रत्येक मरीज को नियमित कॉल करके उसका ऑक्सीजन लेवल पूछा जाना चाहिए और ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उन्हें अविलंब हॉस्पिटल में एडमिट करने हेतु स्वयं स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही सक्रियता बरती जानी चाहिए। वर्तमान में दुर्ग में यही स्थिति है कि होम क्वॉरेंटाइन पॉजिटिव मरीजों को कंट्रोल रूम से कोई कॉल नहीं जाता है और गंभीरतम स्थिति में आने पर वे स्वयं ही हॉस्पिटलाइज होने के लिए भटकते है, इससे उनका बहुत समय व्यर्थ ही निकलता जाता है और मरीज की स्थिति क्रिटिकल होती जाती है। हॉस्पिटल में बेड की कमी को लेकर केंद्रीय टीम ने चिंता जताई कि मरीज की अवस्था में सुधार होने के बाद भी मरीज हॉस्पिटल नहीं छोड़ रहे हैं जबकि अवस्था में सुधार होने के बाद आगे का इलाज होम क्वारंटाइन होकर अच्छे से किया जा सकता है, इससे दूसरे जरूरतमंद मरीज को बेड मिल सकेगा लेकिन मरीज पूरे सुधार के बाद ही घर जाना चाहते हैं इस कारण पुराने मरीज के आवश्यकता से अधिक समय तक हॉस्पिटलाइजेशन में रहने से बेड जल्दी खाली नहीं हो पा रहे हैं। ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिससे कि अत्यंत जरूरतमंद मरीज को ही हॉस्पिटल में भर्ती किया जाए। सांसद विजय बघेल ने केंद्रीय टीम को बताया कि दुर्ग जिले में लॉकडाउन लगा है और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए शरीर को प्रोटीन और फलों की आवश्यकता अधिक होती है और लॉक डाउन के कारण फल इत्यादि मरीजों को नहीं मिल पा रहे हैं इससे मरीज जल्दी रिकवर नहीं हो रहे हैं। इसके उत्तर में केंद्रीय टीम ने दिल्ली का उदाहरण देते हुए बताया कि दिल्ली में कंटेनमेंट जोन में निर्धारित समय में फल, दूध, डेयरी प्रोडक्ट, इम्युनिटी बूस्टर फूड के विशेष वाहन को आने की अनुमति रहती है जिससे कि लोग अपने घर से ही फल, दूध, डेयरी प्रोडक्ट और इम्युनिटी बूस्टर फूड इत्यादि खरीद पाते हैं। दुर्ग में भी दिल्ली की तर्ज पर कुछ वाहनों को विशेष अनुमति देकर निश्चित समय के लिए फल, दूध, डेयरी प्रोडक्ट और इम्युनिटी बूस्टर फूड बेचने की व्यवस्था करने से मरीजों तक फल, दूध, डेयरी प्रोडक्ट या इम्युनिटी बूस्टर फूड पहुंचाए जा सकते हैं। केंद्रीय टीम ने वार्तालाप के दौरान सांसद विजय बघेल को बताया कि दुर्ग में पुराने नेचर वाला ही कोरोनावायरस है लेकिन स्प्रेड की क्वालिटी ज्यादा है, जिसका कारण आमजनों में जागरूकता का अभाव और लापरवाही है। मास्क का त्याग करना, भीड़भाड़ वाली जगहों में आना जाना और कोरोना से बचाव के अनिवार्य उपायों की अनदेखी करना प्रमुख है। यही कारण है कि कोरोना दुर्ग में भयावह स्थिति तक पहुंच गया है। सांसद विजय बघेल ने कहा कि राज्य शासन की लापरवाही और अनदेखी के चलते प्रदेश में कोरोना की स्थिति भयानक स्तर पर पहुंच गई है। अब राज्य शासन को चाहिए कि वह अपनी कुम्भकर्णी नींद से जागे और केंद्रीय टीम द्वारा दिए गए सुझावों पर गंभीरता से अमल करे। उन्होंने राज्य शासन के क्रियाकलापों पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि कोरोना की भयावह स्थिति को लेकर आज तक कैबिनेट की बैठक तक नहीं बुलाई गई है। राज्य शासन के मंत्री जनसेवा के लिए सामने आने की बजाय दुबके पड़े हैं। दुर्ग जिले में मुख्यमंत्री समेत चार चार मिनिस्टर हैं लेकिन किसी का कोई ठिकाना नहीं है। खुद कांग्रेसी बदहवासी की स्थिति में है।

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