नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि कोरोना महामारी के रूप में हमारे सामने एक ऐसा अवसर है जिसमें हम वर्तमान की समस्याओं और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए नए विश्व ढांचे का निर्माण करें। इस नई विश्व प्रणाली में केवल अपना, अपने पड़ोस का ध्यान रखने की बजाय पूरी मानवता की भलाई को ध्यान में रखकर आपसी सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता है।
राजधानी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संवाद रायसीना डायलॉग का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उदघाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दशकों की गलतियों और गलत कामों को सुधारने में अब भी देर नहीं हुई है। हमें रोग के लक्षणों का इलाज करने की बजाय रोग के मूलभूत कारणों को समाप्त करना होगा।
उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया में शांति और स्थिरता कायम करने के लिए एक नया ढांचा तैयार किया गया था। इस ढांचे की कमियां कोरोना महामारी के दौरान उजागर हुई हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के प्रयास इसी बात पर केन्द्रित रहे की तीसरे युद्ध को होने से कैसे रोका जाए। यह सोच कारगर सिद्ध नहीं हुई और दुनिया से हिंसा को खत्म नहीं किया जा सका। परोक्ष युद्ध और आतंकवादी हिंसा का सिलसिला जारी रहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा लगता है कि आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य को हासिल करने के लिए विश्व ने जनकल्याण की अवहेलना की। प्रतिस्पर्धा के कारण सहयोग के महत्व की उपेक्षा की गई। उन्होंने कहा कि आज दुनिया को स्वयं से यह सवाल पूछना चाहिए कि विश्व मानवता अकाल, भुखमरी, और गरीबी का शिकार क्यों बनी हुई है। इन समस्याओं से निजात पाने का एकमात्र तरीका अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही है। मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी को हराने के लिए हमें आशावादी बने रहना चाहिए।












