रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के अंतर्गत संचालित राजमोहिनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, अजिरमा, अम्बिकापुर एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, अम्बिकापुर के संयुक्त तत्वावधान में विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ में मधुमक्खी पालन: समस्याएं, संभावनाएं एवं समाधान विषय पर दो-दिवसीय राज्य स्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया। दो दिवसीय ऑनलाईन वेबिनार का शुभारंभ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील ने किया। उन्होंने इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्रों से आव्हान किया कि वे प्रत्येक जिले में 50-50 मधुमक्खी पालन करने वाले कृषक परिवारों को मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़े एवं मधुमक्खी प्रजनक कृषकों को आवश्यक उपकरण उपलब्ध करायें। डॉ. पाटील ने कीट विज्ञान विभाग के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष के 80 प्रतिशत विद्यार्थियों को मधुमक्खी एवं अन्य सहायक परागण कीटों पर शोध कार्य कराने हेतु विभागध्यक्षों को निर्देश किया जिससे इस विषय पर विशेषज्ञ तैयार हो सके और आगे चल कर प्रदेश में मधुमक्खी पालन के विकास, विस्तार में सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने राज्य स्तर पर मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में कृषि विज्ञान केन्द्र, कोरिया, अम्बिकापुर एवं दंतेवाड़ा तथा कृषि महाविद्यालय अम्बिकापुर में संचालित परियोजनाओं की सराहना की। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रभाकर सिंह, ने फलदार पौधों के परागण में मधुमक्खी पालन के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद मानव प्रकर्ष संस्थान के रमाकांत प्रसाद ने अतिथि व्याख्याता के रूप में प्रतिभागियों को संबोधित किया। संचालक अनुसंधान सेवायें, डॉ. आर.के. बाजपेयी, ने छत्तीसगढ़ में मधुमक्खी पालन की अनुसंधान उपलब्धियों की जानकारी दी। निदेशक विस्तार डॉ. एस.सी. मुखर्जी ने प्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्रों के द्वारा कृषि तकनीकी हस्तांतरण की प्रशंसा की। निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डॉ. जी.के. दास ने मधुमक्खी पालन से बीज की उत्पादकता एवं गणुवत्ता में होने वाली वृद्धि की जानकारी दी। डॉ. रविन्द्र तिग्गा ने कृषि विज्ञान केन्द्र की समन्वित कृषि प्रणाली के विभिन्न अवयवों तथा विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत लगभग 100 मधुमक्खी पेटी प्रदाय किए जाने की जानकारी दी। इस दो दिवसीय ऑलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ के मधुमक्खी पालक कृषकों ने भाग लिया एवं कृषकों को मधुमक्खी पालन के दौरान होने वाली समस्याओं जैसे-शहद के जमने, रानी मधुमक्खी मृत्यु होने, कीटनाशकों का मधुमक्खी पालन में प्रयोग करने आदि विषयों पर वैज्ञानिकों से चर्चा की एवं वैज्ञानिकों ने कृषकों की समस्याओं का समाधान किया। ऑनलाईन प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. व्ही.के. सिंह ने वर्ष भर मधुमक्खी पालन हेतु फसल-चक्र के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डॉ. जी.पी. पैंकरा ने पराग एवं मकरंद स्त्रोत हेतु विभिन्न फसालों के प्रबंधन, मधुमक्खी के परिवारी विभाजन एवं उनके समाधान विषय पर प्रतिभागियों को जानकारी दी। डॉ. एस.एस. शॉ ने मधुमक्खी की विभिन्न बीमारियों एवं उनके समाधान के विषय पर विस्तृत जानकारी दी। असम कृषि महाविद्यालय जोरहट के वैज्ञानिक डॉ. एम.के. डेका ने मधुमक्खी पालन एक वैज्ञानिक उद्यम विषय पर रूचिकर प्रस्तुति दी। इस ऑनलाईन प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान अनेक वैज्ञानिकों ने विभिन्न-विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिया एवं कृषकों की समस्याओं का समाधान किया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. जी.के. श्रीवास्तव, डॉ. एस.आर. दुबोलिया, राजेश चैकसे, संदीप शर्मा, डॉ. प्रितांशा भगत एवं विभिन्न महाविद्यालयों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक, विभिन्न जिले के गौठानों के नोडल अधिकारी, कृषक, छात्र-छात्राएं जूम एप एवं यूट्यूब लाईव के माध्यम से वेबिनार में जुड़े। हैलो वेबिनार यूट्यूब चैनल के संचालक ने इस ऑलनाईन वेबिनार की मेजबानी की। इस दो दिवसीय राज्य स्तरीय वेबिनार कार्यक्रम का ॥द्गद्यद्यश2 ङ्खद्गड्ढद्बठ्ठड्डह्म् यूट्यूब चैनल पर रिकॉर्डिंग देखी जा सकती है।
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